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गोरा

गोरा [२६६ गोड़कर इस गाँव के लोगोंने कुछ धान बोया था। करीब एक महीने के हुआ कि कोठीके मैनेजर साहबने स्वयं लठैतोंको साथ ले प्रजाका धान लूट लिया। इस अत्यचारके समय फरू ने मैनेजरके दाहिने हायमें एक ऐसी लाठी मारी कि उसका हाथ टूट ही गया। डाक्टरने उसकी चिकित्सा न कर सकने पर हाथ कार डाला। ऐसा बड़ा अन्धेर इस देहातमें आज तक कभी न हुआ था। इसके बादसे पुलिसका उपद्रव गाँवमें मानों आग वरसा रहा है। उस अागमें पड़कर प्रजाके बरकी सब चीने जलकर खाक हो गई हैं। किसीके घरमें कुछ न बचा। पुलिस क्रोध में पड़कर सब स्वाहा हो गये। नियोकी इज्जत न बची। सभी तरह वेइज्जतकी गई है । पुलिस फेरू सर्दारऔर केतने ही लोगोंको हाजत में रक्खे हुए है । गाँवक बहुतेरे लोग जहाँ तहाँ भाग गए हैं । फेसके बरके लोग आज भूखो भर रहे हैं ! उनके देह परसे कपड़े तक उतार लिये गए है, यहाँ तक वे शर्मके मारे घरके बाहर नहीं निकल सकते ! उसका एकमात्र लड़का तमीज नाइन को, गाँवके नाते, मौसी कहता था। उने कई दिनोका भूखा देख नाइन अपने घर लाई और उसका पालन कर रही है। नील कोटीकी एक कचहरी यहाँसे डेढ़ कोस पर है ! दारोगा अब भी अपना दल-बल लिए वहाँ टहरा है। उत दंगेके उपलक्षमें बह गाँव आकर कब क्या करेगा; इसका ठिकाना नही ! कल मेरे पड़ोसी नाजिमके घर पुलिस उतरी थी ! नाजिमका एक जवान साला दूसरे गाँवसे अपनी बहनको देखने आया था! दारोगाने उसे देख बिना कारण कहा-"साला देखने में कैसा मोटा ताजा है, इसकी छाती तो देखो कितनी चौड़ी है।" और यह कहकर हाथकी लाठी ऐसी जोरसे उसके मुंह पर मारी कि उसके दाँत टूट गये ओर मुंहसे रक्तकी धारा बहने लगी। भाई पर ऐसा अत्याचार होते देख उसको बहन चिल्लाती हुई ज्योही उसके पास आइ त्योही एक कान्सटेबलने उसे धक्का मारकर सात हाथ दूर फेक दिया। वह बूढी वेचारी मुँहकी खाकर बेहोश होकर गिर पड़ी। पहले इस गाँवमें पुलिस ऐसा उपद्रव करनेका साहस नहीं करती थी, किन्तु अभी इस गांव के वलिः