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गोरा

गोरा [ १६६ तसवीरे काटकर रखता था। सतीशने एक फाइल बनाकर उसमें उन चित्रोंको चिपकाना' प्रारम्भ किया था। इस प्रकार वह चित्रांसे फाइल मरनेके लिए इतना व्यग्र हो पड़ा कि अच्छी किताबोंमें चित्र देख उनमेसे भी चित्र काटकर ले लेनेके लिए उसका मन छटपटाता था । इस लोलु- पता के अपराधमें उसे कई वार अपनी बहनोंके द्वारा विशेष दण्ड सहने पड़े हैं। संसारमें दानके बदले दान देना भी एक जरूरी बात है, यह जानकर आज सतीश को बड़ी चिन्ता हुई । टूटे टीन के बक्समें उसकी जो कुछ निजकी सम्पत्ति सश्चित है उसमें ऐसी कोई चीज नहीं जिसे वह सहसा किसीको दे डाले । सतीशका चेहरा घबड़ाया सा देखकर ललिताने हंसकर धीरसे उसका गाल दबाकर कहा-ठहर टहर, अव तुझे अधिक सोचना न होगा । यही दोनों गुलाब के फूल उन्हें देना। इतने सहजमें ही इस कठिन समस्या को हल होते देख वह प्रसन्न हो गया और बड़ीखुशीसे दोनों फूल लेकर अपने मित्रका ऋण चुकाने चला । रास्तेमें विनय के साथ उसकी भेंट हुई ! सतीश दूरसे ही उसे विनय वाबू विनय वाबू, कहकर पुकारता हुआ दौड़कर उसके पास पहुंचा और कुरतेकी जेबमें फूल छिपाकर बोला-बतलाइए, मैं आपके लिए क्या लाया हूँ? विनयके हार मान लेने पर उसने जेबमें से दोनों फूल निकाल कर दिया। विनयने कहा- वाह ! बहुत ही बढ़िया फूल हैं । किन्तु सतीश ये तो तुम्हारे निजके नहीं है । चोरीका माल लेकर अखिर मैं कहीं पुलिसके हाथ न पकड़ा जाऊँ ? ये फूल उसके निजके हैं या नहीं, इस विषय में सतीश को कुछ घोखा हुश्रा । कुछ देर मनमें सोचकर उसने कहा—हाँ जी, यह चोरी कैसे हुइ ? ललिता बहन ने मुझको दिये हैं आपको देने के लिए । इस बातका फैसला यहाँ हो गया और विनयने साँझको उसके घर जानेका वादा करके सतीशको बिदा कर दिया। बाबू,