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[ १७ ] दो-तीन घन्टे सोने के बाद नींद टूटने पर जब गोराने देखा कि पास ही विनय सो रहा है तब उसका हृदय आनन्दसे परिपूर्ण हो गया। स्वप्न में किसी एक प्रिय वस्तुको खोकर जागने पर देखा जाय कि वह खो नहीं गई है तो उस समय जैसा अानन्द जान पड़ता है वैसा ही गोराको भी हुा । विनयकों छोड़ देनेसे गोराका जीवन कितना निर्बल हो जाता इसका अनुभव अाज वह सोकर उठने के बाद विनयको पासमें देखकर कर सका । इस अानन्दके आवेशमें चंचल हो गोराने विनयको हाथसे हिलाकर जगा दिया और कहा-चलो आज एक काम है। गोराका प्रतिदिन सवेरेका एक नियमित काम था। वह अड़ोस पड़ोस के छोटे लोगोंके धर जाता आता था। उन लोगोंका उपकार करने या उन्हें उपदेश देनेके लिए नहीं वरन उन सवांसे केवल भेंट करने ही के लिए वह जाता था । शिक्षित दलमें उसका इस प्रकार जाने-मानेका व्यवहार नं था। गोराको वे लोग बाबाजी कहते और हाथ में हुक्का देकर उसका श्रादर करते थे । केवल उन लोगोंका आतिथ्य ग्रहण करने ही के लिए गोराने जबर्दस्ती तम्बाकू पीनेकी आदत लगा ली थी। इस दल में गोराका सबसे पक्का भक्त नन्द था। नन्द बढ़ईका लड़का था। बाईस वर्षको उसकी उम्र थी। वह अपने बापकी दूकान में लकड़ीके संदूक बनाया करता था। शिकारियोंके दलमें नन्दकी तरह बन्दूकका अचूक निशाना किसी का न था । गोराने अपने खेलने वाले दलमें भद्र छात्रों के साथ इन बढ़ई और लुहारके लड़को को मिला लिया था। इस मिले हुए दलमें नन्द सब प्रकार के खेल और व्यायाममें सबसे बढ़ा-चढ़ा था। कोई कोई कुलीन छात्र उससे डाह रखते थे; किन्तु गोरा के दबावसे सभी उसको अपने दल का सरदार मानते थे ! इसी नन्दके पैर पर, कई दिन हुए, रुखानी गिर पड़ने से घाव हो गया था जिससे वह क्रीडास्थलमें न जा सकता था। विनयके सम्बन्ध गोराका ।