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शन्द-संप्रद २६५ १ 1 अलग होकर । मगो ७४. मांड्यामांब्यौ=मंटन किपा, रचा । विहून विना । प २० ग्या २२, प २६ बीजसि-द्वितीया, दुइछ । ५२ मांहरा-हमारा । प १६ बेधा बोध कुटली वेध किये हुओं माहिला=में का, मध्य का । ५४ से प्राप्त ज्ञान | स १६० •मातंगी-मदमाती। प २६ व्यंदैचंदना या प्रशंसा करना । स मिदंर-मंदिर । म्या ३८, स २०९ १२६ मिजाल =मज्जा।प.९ भंडित-विकलांग । स २६१ मुलांनम् मौला, अल्लाह । ५ ३८ मैंवर गुफा प्रारंध्र | स १३२ मुछावै मूर्षित करे । प्रा १ भद्र-सुंदन । ६१ 'मेले मारे । स ७४ भसकावै भक्षम करता है ।स २०६ मेल्दा-मुक्त किया। स १५३ भांजिबा= तोड़ना चाहिए । स २०३ - मेल्ही फेकी कोपन फेंकी। प १७, भाजंतः =टूटता है। स २४ ग्या १८ भाजसी=मागेंगे । स २३५ -मेल्है-दाले । स २५४ भुंडि=मोदी । स २५१ -मोल्यांवाली, मिलाई । प २८ मेदांनिभेद =रहस्य (अमेह) का मौरियो घौरा । प २० रहस्य (मेव), रहस्योद्घाटन । स ६६ म्यंत्र=मिन, साथी । स ४० मेवं भेद । स ९६ रङ्गरोगा, शीघ्र गल जाने वाला, भ्रमरगुफा=प्रारंभ । प३० परिणामी । मगो ११० भांडै पात्र, हाँडी । स ३७ रढ़िया i=ढ़ निश्चयवालो । प ४७ मम्मा, नहों।प१ 'रराले डाले । पा ५७ • मगरी-लकड़ी । प ४७ रहतारहनेवाला, सवस्व । स २७० - मनसईदगछा करता है । प४ रहति शुन्दसत्ता । गोग २२२ मरणीं-मृत्यु । स २६ रांएदेखो उसर रंग। मगो १०९ मलवंधा (मलमला, मिलवला) राकसि-राक्षसी । प ४८ स्वाद रहित और अरुचि उत्पन्न करने राचै-अनुरक होता है। प २ वाला । गोग पृ० २२३ राहराष्ट्र। प १८ मलाया-छूटे हुए हैं। प१. रिव-रवि सूर्य । स २५७ मसीत-मसजिद । स ६८ रिध-शदि । स २६८ • महकी=महिए, भैंस । ५४२ रीधाः =पक मये, पच भरे । ५४४ महारस-योगानंद । मगो १२० लड़ा=अच्छा अच्छी तरह, सुरक्षित मही=मट्ठा । १२१ रूप से। प १० 'माइ समाना । २० रुपाणी-रोपी।प१७ .