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१३३ , गोरख-बानी] चारि महाधर बारह चेला, येककारी हूवा । कायम को ३ तिन पार न पायौ, जोति बालि बालि मुवा १४ । चौदसियांनै पूनमियां, जैन व्रतधारी हूवा । अरहंत को तिन पार न पायौ', केस लौंचि लौचि मूवा' ।५। येक मुलांनम्' दोइ कुरांनम् २, ग्यारह पुरसाणी' हूबा। अलह'२ को तिन पार न पायौ', बङ्ग देह देइ मृवा।६। नौ नाथ नै चौरासी सिधा, पासणधारी हूवा । जोग को तिन पार न पायौ, बन पंडां'८ भ्रमि भ्रमि मूवा ॥७॥ पंच तत्त की काया बिनसी११ राषि न सक्या कोई। काल दवन२० जब ग्यांन प्रकास्या, बदंत गोरष सोई॥८॥३॥ 2 . चार महाधर और धारह चेलों के अन्तर्गत कौन कौन माने गये हैं, निश्चय- रूप से नहीं कहा जा सकता संभवतः चार महाधुरंधर सनक, सनन्दन, सनातन और सनत्कुमार हैं। छांदोग्य में सनत्कुमार ने नारद को निवृत्ति मूलक अद्वैत की शिक्षा दी है। अन्य तीन भी उन्हीं के समान समझे जा सकते हैं। बारह चेने नारद, जनक, माज्ञवल्क्य, लोमश, मार्कंडेय, व्यास, पसिष्ठ, शुक, नदभरत दत्त, गौड़पाद और शंकर माने जा सकते हैं। जोति -प्रमज्योति । कायम-स्थिर सत्ताव । मौला, अल्लाह एक है, किंतु कुरान के माननेवालों ने उसे दो बना दिया है और मुसलमान शिया सुच्ची दो प्रधान संप्रदायों में बट गये हैं। ग्यारह खुरा- सानियों से संभवतः नबियों से अभिप्राय है। किंतु नयी बारह हुए हैं और उनमें से एक ही खुरासान के निवासी थे। १. (घ) बाराह। २. (घ) एकंकारी। ३. (घ) का। ४. (घ) पाया। ५. (घ) सूत्रां । ६. (घ) अमावसिया नै चौदसिया। ७. (घ) का । ८. (घ) पाया।६. (घ) लूचि लंचि । १०. (घ) मूवा । ११. (घ) मुलांणां । १२. (घ) कुरांणां । १३. (घ) पुरांसांयो। १४. (घ) अल्हा । १५. (घ) वांग दे दे। १६. (घ) नव । १७. (घ) पांच तत्व । १८. (घ) तीरयां । १९. (घ) विणसे। २०. (प) दवणि।