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गोदान : 145
 


में मिल गया। तुमने इतने दिन मुझे जिस परेम से रखा, मां भी न रखती। भगवान् मुझे फिर जनम दें, तो तुम्हारी कोख से दें, यही मेरी अभिलाषा है।

धनिया उसको अपनी ओर खींचती हुई बोली-यह तेरा बाप नहीं है, तेरा बैरी है, हत्यारा। मां होती, तो अलबत्ते उसे कलंक होता। ला सगाई। मेहरिया जूतों से न पीटे, तो कहना।

झुनिया सास के पीछे-पीछे घर में चली गई। उधर भोला ने जाकर दोनों बैलों को बूटों से खोला और हांकता हुआ घर चला, जैसे किसी नेवते में जाकर पूरियों के बदले जूते पड़े हों-अब करो खेती और बजाओ बंसी। मेरा अपमान करना चाहते हैं सब, न जाने कब का बैर निकाल रहे हैं। नहीं, ऐसी लड़की को कौन भला आदमी अपने घर में रखेगा? सब-के-सब बेसरम हो गए हैं। लौंडे का कहीं ब्याह न होता था इसी से। और इस रांड झुनिया की ढिठाई देखो कि आकर मेरे सामने खड़ी हो गई। दूसरी लड़की होती, तो मुंह न दिखाती। आखों का पानी मर गया है। सबके सब दुष्ट और मूरख भी हैं। समझते हैं झुनिया अब हमारी हो गई। यह नहीं समझते, जो अपने बाप के घर न रही, वह किसी के घर नहीं रहेगी। समय खराब है, नहीं बीच बाजार में इस चुड़ैल धनिया के झोंटे पकड़कर घसीटता। मुझे कितनी गालियां देती थी।

फिर उसने दोनों बैलों को देखा, कितने तैयार हैं। अच्छी जोड़ी है। जहां चाहूं, सौ रुपये में बेच सकता हूं। मेरे अस्सी रुपये खरे हो जायेंगे।

अभी वह गाव के बाहर भी न निकला था कि पीछे से दातादीन, पटेश्वरी, शोभा और दस-बीस आदमी और दौड़े आते दिखाई दिए। भोला का लहू सर्द हो गया। अब फौजदारी हुई, बैल भी छिन जायंगे, मार भी पड़ेगी। वह रुक गया कमर कसकर। मरना ही है तो लड़कर मरेगा।

दातादीन ने समीप आकर कहा-यह तुमने क्या अनर्थ किया भोला, ऐं। उसके बैल खोल लाए, वह कुछ बोला नहीं, इसी से सेर हो गए। सब लोग अपने-अपने काम में लगे थे, किसी को खबर भी न हुई। होरी ने जरा-सा इशारा कर दिया होता, तो तुम्हारा एक-एक बाल नुच जाता। भला चाहते हो, तो ले चलो बैल, जरा भी भलमंसी नहीं है तुममें।

पटेश्वरी बोले-यह उसके सीधेपन का फल है। तुम्हारे रुपये उस पर आते हैं, तो जाकर दीवानी में दावा करो, डिगरी कराओ। बैल खोल लाने का तुम्हें क्या अख्तियार है? अभी फौजदारी में दावा कर दे तो बंधे बंधे फिरो।

भोला ने दबकर कहा-तो लाला साहब, हम कुछ जबरदस्ती थोड़े ही खोल लाए। होरी ने खुद दिए।

पटेश्वरी ने भोला से कहा-तुम बैलों को लौटा दो भोला। किसान अपने बैल खुशी से देगा, कि इन्हें हल में जोतेगा।

भोला बैलों के सामने खड़ा हो गया-हमारे रुपय दिलवा दो, हमें बैलों को लेकर क्या करना है?

'हम बैल लिए जाते हैं, अपने रुपये के लिए दावा करो और नहीं तो मारकर गिरा दिए जाओगे। रुपये दिए थे नगद तुमने? एक कुलच्छिनी गाय बेचारे के सिर मढ़ दी और अब उसके बैल खोले लिए जाते हो।'