जो कुछ उन्होंने कहा वह सब मेरे ही इशारे और मर्जी के अनुसार था, मैंने तुमसे दगा की मगर मेरी प्यारी बह्न, यह सिर्फ इसलिए था कि तुम मेरी तरफ से बेपर-वाह हो जाओ और अपनी जवानी के वाक़ी दिन खुशी से बसर करो। मैं वहुत शर्मिन्दा हूँ। मैंने तुम्हें जरा भी न समझा था! मैं तुम्हारे प्रेम की गहराई से अपरिचित था क्योंकि मैं जो चाहता था उसका उल्टा असर हुआ। मगर मेगा, मैं माफ़ी चाहता हूँ।
मैग्डलीत—हाय जोजेफ़, तुम मुझसे माफ़ी माँगते हो, ऐं, तुम जो दुनिया के सब इन्सानों से ज्यादा नेक, ज्यादा सच्चे और ज्यादा लायक हो ! अगर हाँ, वेशक तुमने मुझे विलकुल न समझा था जोजेफ़! यह तुम्हारी गलती थी। मुझे ताज्जुब तो यह है कि तुम्हारा ऐसा पत्थर का दिल कैसे हो गया।
जोजेफ़—मेगा, ईश्वर जानता है जब मैंने रफ़ती को यह सब सिखा-पढ़ाकर तुम्हारे पास भेजा है, उस वक्त मेरे दिल की क्या कैफियत थी। मैं जो दुनिया में नेकनामी को सबसे ज्यादा कीमती समझता हूँ और मैं जिसने दुश्मनों के ज़ाती हमलों को कभी पूरी तरह काटे बिना न छोड़ा, अपने मुंह से सिखाऊँ कि जाकर मुझे बुरा कहो! मगर यह केवल इसलिए था कि तुम अपने शरीर का ध्यान रक्खो और मुझे भूल जाओ।
सच्चाई यह थी कि मैजिनी ने मैग्डलीन के प्रेम को रोज-ब-रोज़ बढ़ते देखकर एक खास हिकमत की थी। उसे खूब मालूम था कि मैग्डलीन के प्रेमियों में से कितने ही ऐसे हैं जो उससे ज्यादा सुन्दर, ज्यादा दौलतमन्द और ज्यादा अक्लवाले हैं, मगर वह किसी को खयाल में नहीं लाती। मुझमें उसके लिए जो खास आकर्षण है, वह मेरे कुछ खास गुण हैं और अगर मेरे ऐसे मित्र, जिनका आदर मैग्डलीन भी करती है, उससे मेरी शिकायत करके इन गुणों का महत्व उसके दिल से मिटा दें तो वह खुद-ब-खुद मुझे भूल जायेगी। पहले तो उसके दोस्त इस काम के लिए तैयार न होते थे मगर इस डर से कि कहीं मैग्डलीन ने घुल-घुलकर जान दे दी तो मैज़िनी जिन्दगी भर हमें माफ़ न करेगा, उन्होंने यह अप्रिय काम स्वीकार कर लिया था। वह स्विट्ज़रलैण्ड गये और जहाँ तक उनकी जुबान में ताक़त श्री, अपने दोस्त को पीठ पीछे बुराई करने में खर्च की। मगर मैग्डलीन पर मुहब्बत का रंग ऐसा गहरा चढ़ा हुआ था, कि इन कोशिशों का इसके सिवाय और कोई नतीजा न हो सकता था जो हुआ। वह एक रोज़ बेकरार होकर घर से निकल खड़ी हुई और रोम में आकर एक सराय में ठहर गयी। यहाँ उसका रोज का नियम था कि