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वफ़ा का खंजर
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काम हो जाते हैं। वही बेगुनाह का खून जो जाती हैसियत से सख्त से सख्त सजा के काबिल है, मजहबी हैसियत से शहादत का दर्जा पाता है और कौमी हैसियत से देश-प्रेम का। कितनी बेरहमियां और जुल्म, कितनी दगाएं और चालबाजियां, क़ौमी और मजहवी नुक्ते-निगाह से सिर्फ ठीक ही नहीं,फर्जों में दाखिल हो जाती हैं। हाल की योरोप की बड़ी लड़ाई में इसकी कितनी ही मिसालें मिल सकती हैं। दुनिया का इतिहास ऐसी दगाओं से भरा पड़ा है। इस नये दौर में भले और बुरे का जाती एहसास क़ौमी मसलहत के सामने कोई हकीकत नहीं रखता। कौमियत ने जात को मिटा दिया है। मुमकिन है यही खुदा का मंशा हो। और उसके दरवार में भी हमारे कारनामे कौम की कसौटी ही पर परखे जायं। यह मसला इतना आसान नहीं है जितना मैं समझा था।

'फिर आसमान में शोर हुआ मगर शायद यह इधर ही के हवाई जहाज़ हैं। आज जयगढ़वाले बड़े दमखम से लड़ रहे हैं। इधरवाले दवते नज़र आते हैं। आज यक़ीनन मैदान उन्हीं के हाथ रहेगा। जान पर खेले हुए हैं। जयगढ़ी वीरों की बहादुरी मायूसी ही में खूब खुलती है। उनकी हार जीत से भी ज्यादा शानदार होती है। बेशक, असकरी दांव-पेंच का उस्ताद है, किस खूबसूरती से अपनी फ़ौज रुख किले के दरवाज़े की तरफ़ फेर दिया। मगर सख्त गलती कर रहे हैं। अपने हाथों अपनी कब्र खोद रहे हैं। सामने का मैदान दुश्मन के लिए खाली किये देते हैं। वह चाहे तो बिना रोक-टोक आगे बढ़ सकता है और सुबह तक जयगढ़ की सरजमीन में दाखिल हो सकता है। जयगढ़ियों के लिए वापसी या तो गैरमुमकिन है या निहायत खतरनाक । किले का दरवाज़ा बहुत मजबूत है। दीवारों की संधियों से उन पर बेशुमार बन्दूकों के निशाने पड़ेंगे। उनका इस आग में एक घण्टा भी ठहरना मुमकिन नहीं है। क्या इतने देशवासियों की जानें सिर्फ एक उसूल पर, सिर्फ़ हिसाब के दिन के डर पर, सिर्फ अपने इखलाक़ी एहसास पर कुर्बान कर दूं? और महज़ जानें ही क्यों? इस फ़ौज की तबाही जयगढ़ की तबाही हैं। कल जयगढ़ की पाक सरजमीन दुश्मन के जीत के नक्कारों से गूंज उठेगी। मेरी माएँ, बहनें और बेटियां हया को जलाकर खाक कर देनेवाली हरकतों का शिकार होंगी। सारे मुल्क में क़त्ल और तबाही के हंगामे बरपा होंगे। पुरानी अदावत और झगड़ों के शोले भड़केंगे। कब्रिस्तान में सोयी हुई रूहें दुश्मन के क़दमों से पामाल होंगी। वह इमारतें जो हमारे पिछले बड़प्पन की जिन्दा निशानियाँ हैं, वह यादगारें जो हमारे बुजुर्गों की देन हैं, जो हमारे कारनामों के इतिहास, हमारे कमालों का खजाना