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गुप्त धन
 

जिसके पहलू में मर्दो का दिल है और गो उसे बहुत सजग होने का दावा नहीं लेकिन मैं उसके अज्ञान पर ऐसी हजारों जागृतियों को कुर्बान कर सकता हूँ। तब वह प्लेटफार्म से नीचे उतरे और दर्शनसिंह को गले से लगाकर कहा-ईश्वर तुम्हें प्रतिज्ञा पर कायम रक्खे।

---ज़माना, अगस्त-सितम्बर १९१३