शाइस्ताखाँ नूरजहाँका भतीजा था और बहुत न्यायी, वीर और दयावान था। उसका शासनकाल यूरोपियन व्यापारियां-विशेषकर अंग्रेजोंके लिये बहुन बुग माबित हुआ। अधिकांश झगड़े बरखेड़े इन व्यापारियोंके इसीके शामन- कालमें हुए। ___ उनके शासनके दृमरेही माल सन १६६३में ईम्टइण्डिया कम्पनीने अपनी फेकरी क़ासिम बाजाग्में स्थापित की। शाइम्ताग्यांक न्यायक कारण यूरोपियनोंका व्यापार दिनोंदिन बढ़ने लगा। यद्यपि उनकी सदा यह शिकायत रहती थी कि शाइस्ताग्यो उनसे अच्छा बर्ताव नहीं करता। पर इतिहासके लेखक मि० माशमैन मी० आई० ई. इस शिकायतको निमल बताते हैं। उसने इन व्यापारियां विशपकर अंग्रेजोंके लिये जो कुछ किया, उनमें भी शिकायतका कहीं मौका नहीं देखा जाता। पहले अंग्रेजोंक जहाज हुगली तक नहीं आने पाते थे। उसने उनको वहातक आनेको आज्ञा दी ! हर नये मूबेदारके आते ही अंग्रेजों और अन्य व्यापारियों- को अपने व्यापारका फरमान नया कराना पड़ता था, नवाब शाइम्नाग्य- ने यह झगड़ा भी दूर कर दिया और इस तरह उन्हें बहुत हानि और कठसे बचाया । इनके सिवा फ्रेञ्च, डच और डेन भी बंगालमें व्यापार करते थे। चन्द्रनगर, चिन्सुरा (चीचुड़ा ) और बालासोरमें इनको कोठियां स्थापित होगईं और अब खूब व्यापार बढ़ने लगा। इन मब बातोंसे साबित है कि शाइस्ताखोके शासनके आरम्भहीमें विदेशी व्या- पारी उन्नति कर चले थे और उनके साथ उसका बर्ताव भी बहुत अच्छा था। ___ सन १६७७ ई० में शाइस्ताग्वां आगरेकी सूबेदारीपर चला गया। पर दोही मालके बाद मन ७६ में फिर बंगालका हाकिम नियत होकर आया : अबकी बार औरंगजेबने उसे हिन्दुओंपर जजिया लगाने और अनेक तरहसे उनको दुःख देनेकी आज्ञा देकर भेजा। यद्यपि वह स्वयं बहुत [ ७५ ]
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