गुप्त-निबन्धावली चरित-चर्चा से बादशाही हुफ्मोंकी तामील कराते थे । दीवानी और मालका काम सूबेका दीवान करता था और सूबेका फौजी अफसर उस सूबेका बख्शी होता था। इन्साफके लिये काजी और मीरअदल नियत थे। मार्गीकी रक्षाके लिये बड़-बड़े फौजी अफसर थे, वह मनमबदार कहलाते थे । पन्द्रह सूबोंके नाम यह है :-आगरा, इलाहाबाद, अवध, अजमेर, अहमदाबाद, बिहार, बंगाल, दिल्ली, लाहौर, काबुल-कन्दहार, मुलतान, मालवा, बरार, खानदेश, अहमदनगर । इनके सिवा मरहटा, तिलंगाना और कर्नाटक नामक तीन सर्व अहमदनगर, गोलकुण्डा और बीजापुरक बादशाहोंके पास थे, वह भी अकबरके अधीन होगये थे। राजा लोगोंमेंसे केवल महाराणा प्रतापसिंहने अकवरकी अधीनता म्वीकार नहीं की थी। ___ अकबरके ममयमें बड़ा अमन चैन था। अन्न सस्ता था, प्रजा सुग्बी थी। मब मुग्वसे दिन बिताते थे। उस समयकी कुछ चीजोंका भाव नीच लिखते हैं, पढ़कर आश्चर्य होगा। स्वप्नसा मालूम होगा कि जिम भारतवपमें अब हर माल अकाल और अन्नके लिये हाहाकार रहती है, वह कभी इतना सुग्वी था। फी मन काबुली चने देशी चने मसूर गेहूँ चावल बढ़िया दूसरे चावल माठी चावल
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