उर्द-अखबार पसा अखबारमें छोटी छोटी खबर होती हैं। वह टुकड़े टुकड़े होकर छपती हैं। हँसी मजाककी ग्वबर एक जगह, गिनती और अङ्कोंसे भरी खबर एक जगह, इसी प्रकार स्वास्थ्य सम्बन्धी खबर एक जगह और दूसरी कई प्रकारकी ग्वबर अलग अलग स्थानोंमें छपती हैं । सम्पा- दकीय लेखोंमें एक बड़ा और कई एक छोटे छोटे नोट होते हैं । अन्तमें कुछ फुटकर ग्वबर और चिट्ठियाँ तथा प्रेरितपत्र होते हैं । आकार भद्दा और कागज बहुत पतला होता है। पृष्ठ कभी कभी विज्ञापनोंकी भीड़के कारण तीस तक होते हैं। इसीसे कागज झिल्लीकी भांति रखना पड़ता है। विलायतके चुटकलेबाज छोटे-छोटे कागजोंकी उदृ नकल उसे कह सकते हैं। दैनिक पैसा अग्यवारकी उमर कई-एक माससे अधिक नहीं है। कई माल पहले भी एकबार दैनिक पैसा अम्बबार जारी हुआ था जो कई महीने चलकर बन्द हो गया था । अब फिर जारी हुआ है। आकार माप्ताहिकका साही है पर कागज मफेद और गाढ़ा है। पृष्ठ १२ हैं। जब पहली बार : पैसा अखवार" दैनिक होनेको था तो मुंशी महबूबेआलम हमसे कलकत्ते में मिले थे। उनसे कहा था कि अभी उर्दू में रोजाना अखबार नहीं चल सकता। उसके कारण भी बताये गये थे। अब भी वह कारण वर्तमान हैं । एक तो उर्दू में दैनिक पढ़नेवाले कम हैं, दूसरे अंग्रेजी दैनिकोंका मुकाबिला उर्दू दैनिकोंसे नहीं हो सकता । इससे उर्दू के दैनिक पत्रोंको जैसी कामयाबी होना चाहिये वैसी होना कठिन है। खैर जो होता है वही अच्छा है । जो लोग साहसो हैं उनकी प्रशंसा करनाही उचित है । साहसी लोग अन्तमें सफलता लाभ करते हैं। “पैसा अखबार” के उत्साह और अध्यवसायको हम बहुत पसन्द करते हैं । पर उसकी पालिसीका समर्थन नहीं कर सकते । उसके सम्पा- दक मुसलमान हैं, इससे हम यह नहीं कह सकते कि वह मुसलमानोंकी [ २८७ ]
पृष्ठ:गुप्त-निबन्धावली.djvu/३०४
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।