उर्दू-अखबार भी नाम नहीं हुआ। अग्वबार पढ़नेवालोंमें अधिक लोग उसका नाम तक नहीं जानते। नामका उमने कुछ काम नहीं किया। २० साल पहले उसमें विलायती तारोंका तरजुमा छपता था, पायनियर आदि अंग्रेजो अखबारोंके लेखोंके तरजुमे छपते थे। वही बात आजतक होती चली आती है। इससे कह सकते हैं कि, ' अवध अखबार" अंग्रेजी अखबारोंका एक ऐसा उदु तरजमा करनेवाला है, जो यह भी नहीं जानता कि किस लेखका तरजुमा उसे करना चाहिये और किस लेवका नहीं। उसमें जो तारोंका तरजुमा छपता है, उनसे कोई-कोई उर्दू पढ़ा कुछ नहीं समझ सकता है कि कहाँ क्या हो रहा है। उनमें न कोई सिल- सिला होता है न कोई मेल होता है, न उनका तरजमा करनेवाला किसी तारको ठीक ठीक समझानेकी चेष्टा करता है। भगवान जाने वह खुद भी समझता है या नही। नमूनेके लिये हम उक्त अखबारके तारकी खबरोंमेंसे एक दो नकल कर देते हैं। “१४ नवम्बर लन्दन-मि० बालफोर और सर एम० हेक्सबीच ब्रस्टलमें कल रातको लिसवनकी दावतमें मेहमान थे। मि० बालफोरने अपनी तकरीरमें एवज मावजेकी जरूरतके मुताल्लिक अपने खयालातका एआदह किया और कहा कि मुझको खयाल नहीं है कि, कबल इमके कि दो तीन साल न गुजर जायं, कोई आम इन्तखाब हो। सर एम० हेक्सबीचने बयान किया कि मैं आजाद तिजारतके मामिलेमें वजीर आजमको हिकमत अमलीकी ताईदपर आमदा हुआ था. लेकिन उनके जैरमुम्तनद प्रोग्रामकी निस्वत विल इस्तिकलाल इख्तिलाफ हुआ।" ___ नमूनेकी इन पंक्तियोंसे साफ समझमें आजायगा कि विलायती तारोंका कैसा अनुवाद अवध अखबार में होता है। हम आशा करते हैं कि अवध अखबारके मालिक इस ढाँचेको बदलंगे। जिस तरजमेसे [ २६३ 1
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