पृष्ठ:गुप्त-निबन्धावली.djvu/२६४

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शाइस्ताखाका खत साथ ही तालीमको नेस्तोनाबूद कर देनेकी जरूरत है। तुम सबको छोड़ कर एक तालीमको मिटानेकी तरफ झुके थे। यह हिदायत तुम्हें तुम्हारे मालिक मुर्शिद लाट कर्जनकी तरफसे हुई थी ! पर अंजाम और ही हुआ। तालीम गारत न हुई. बल्कि और तरक्की पा गई । बङ्गाली अपना कौमी दारुलउलूम बनाते हैं। गारत हुई पहले तुम्हारी नेकनामी और पीछे नौकरी। _रिआया और मदरसेके तुलबासे लड़ते-लड़ते तुमने नवाबी खत्म की। लोगोंको आम जलसे करने और कौमी नारे मारनेसे रोका। लड़कोंको अपने मुल्की मालको तरफ मुतवजह देखकर तुमने उनको जेलमें भिजवाया, स्कूलोंसे निकलवाया और पिटवाया। तुम्हारे इलाके बरीसालमें तुम्हारे मातहतोंने इस मुल्ककी रिआयाके सबसे आला इज्जतदार और तालीमयाफ्ता अशखासको बेइज्जत करनेकी निहायत खफीफ हरकत की। तुमने अपने मातहतोंका इसमें साथ दिया । नतीजा यह हुआ कि हाईकोर्ट से तुम्हारे कामोंकी मलामत हुई। तुमने बड़ी शेखीसे कहा था कि हाईकोर्ट मेरा कुछ नहीं कर सकती, पालीमेंट मेरे हुक्मको रोक नहीं सकती। मगर दोनों बात गलत साबित हुईं। हाई- कोर्ट से तो तुमने मलामत सुनी ही पार्लीमेन्टसे भी वह सुनी कि सारी नवाबी भूल गये। तुम्हारी होशियारी और लियाकतका इसीसे पता लगता है कि तुम्हारे अफसरका हुक्म पहुंचनेसे पहले तुम्हारे सूबेमें एक बन्दयेखुदाको बेवक्त फांसी होगई ! तुम्हारी इन हरकतोंपर यहां जन्नतमें खूब-वूब चर्चे होते हैं। पुराने बादशाह और नवाब कहते हैं कि भाई ! यह फरङ्गी खूब हैं । एशियाई लोगोंके ऐब तलाश करनेहीको यह अपनी बहादुरी समझते हैं । दिखाने- को तो उन ऐबोंसे नफरत करते हैं, पर हकीकत देखिये तो उनको चुन- चुनकर काममें लाते हैं। मगर हुनरोंसे चश्मपोशी करते हैं। तुमलोग [ २४७ ]