पृष्ठ:गुप्त-निबन्धावली.djvu/१८३

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हिन्दुस्तानमें एक रस्मुलखत ई सालसे हिन्दुस्तानके आला दरजेके तालीम-याफ्ता! लोगोंका इस बातकी तरफ़ खयाल हुआ है कि हिन्दुस्तानभरमें एकही रस्मुल- खतर जारी हो । सर गुरुदास बनर्जी साबिक़ जज हाईकोर्ट कलकत्ताने अंग्रेजीमें इस बारेमें एक छोटा-सा रिसाला लिखा था, जो-जो रस्मुलखत हिन्दुस्तानमें जारी हैं, सबका ज़िक्र करके और सबका तौर-तर्ज बखूबी समझाके उन्होंने फैसला किया कि सिर्फ देवनागरी हरुफ़ ही ऐसे मुकम्मिल और मौजू. हैं जो आसानीसे हिन्दके हर हिस्से में फैल सकते हैं। इससे कुल हिन्दमें रस्मुलखत होनेका हक़ इन्हीं हरुफ़को हासिल है। इस रिसालेको शाया८ हुए कई साल हो गये। इसका ज़िक्र मौकेसे फिर किया जायगा। दो साल हुए जस्टिस सारदाचरन मित्रने जो इस वक्त कलकत्ता हाईकोर्ट के एक नामवर जज हैं और कलकत्ता यूनीवर्सिटीके एम० ए० बी० एल० हैं, यूनीवर्सिटी-मजकूरके मेम्बरोंके रुबरू एक मज़मून पढ़ा था, जिसमें बहुत उम्दगीसे यह दिखाया था, कि देवनागरी हरुफ़ ही सबसे आला हैं, और यही कुल हिन्दमें बतौर एक रस्मुलखतके जारी होने चाहिये। उस मीटिंगमें सर गुरुदास भी थे। इसकी उस मुहतरिम बुजुर्गने ताईद की। यह मज़मून पीछे इलाहाबादके मशहूर अंग्रेजी रिसाला 'हिन्दुस्तान रिव्यू में छपा था और इसका मुकम्मिल तर्जुमा 'भारत-मित्र' कलकत्तामें शाया हुआ था । अलावाअजी२० खास बंगालियोंके समझानेके लिये जस्टिस साहबने बंगलामें यह मज़मून लिखा और एक नामवर बंगला अखबारमें छपवाया। फिर एक मज़मून आपने खास 'भारतमित्र' के लिये लिखा, जिसका एक बड़ा. १-शिक्षित । २-लिपि, अक्षर। ३-भूतपूर्व। ४-पुस्तिका। ५-रंग-ढंग । ६-पूर्ण । ७-उपयुक्त। ८-प्रकाशित । ९-अवसरप्राप्त । १०-इसके सिवा । [ १६६ ]