यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
६८
गुप्त धन
 

उसके खरीदारों में कुछ तो मर गये, कुछ ज़िन्दा है, मगर जिस दिन से वह एक की हो गयी, उसी दिन से उसके चेहरे पर वह दीप्ति दिखायी पड़ी जिसकी तरफ़ ताकते ही वासना की आँखें अन्धी हो जाती। खुदी जब जाग जाती है तो दिल की कमजोरियाँ उसके पास आते डरती हैं।

—'खाके परवाना' से