उस दिन से न वह गड़रिया नजर आया और न वह बकरी,और न मैंने पता लगाने की कोशिश की। लेकिन देवीजी उसके बच्चों को याद करके कभी-कभी आँसू वहां लेती है।
—'बारदात' से