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शादी की वजह


यह सबाल टेढा है कि लोग क्यो शादी करते है? औरत और मर्द को प्रकृत्या एक-दूसरे की जरूरत होती है लेकिन मौजूदा हालात मे आम तौर पर शादी की यह सच्ची वजह नहीं होती बल्कि शादी सभ्य जीवन की एक रस्म-सी हो गयी है। बहरहाल, मैने अक्सर शादीशुदा लोगो से इस बारे में पूछा तो लोगो ने इतनी तरह के जबाब दिये कि मैं दग रह गया। उन जवाबो को पाठको के मनोरजन के लिए नीचे लिखा जाता है—

एक साहब का तो बयान है कि मेरी शादी बिलकुल कमसिनी मे हुई और उसकी जिम्मेदारी पूरी तरह मेरे मॉ-बाप पर है। दूसरे साहब को अपनी खूबसूरती पर बड़ा नाज है। उनका खयाल है कि उनकी शादी उनके सुन्दर रूप की बदौलत हुई। तीसरे साहब फ़रमाते है कि मेरे पड़ोस में एक मुशी साहब रहते थे जिनके एक ही लडकी थी। मैने सहानुभूतिवश खुद ही बातचीत करके शादी कर ली। एक साहब को अपने उत्तराधिकारी के रूप मे एक लड़के की जरूरत थी। चुनाचे आपने इसी धुन मे शादी कर ली। मगर बदकिस्मती से अब तक उनकी सात लड़कियाँ हो चुकी है और लडके का कहीं पता नही । आप कहते है कि मेरा खयाल है कि यह शरारत मेरी बीवी की है जो मुझे इस तरह कुढाना चाहती है। एक साहब बड़े पैसेवाले है और उनको अपनी दौलत खर्च करने का कोई तरीका ही मालूम न था इसलिए उन्होने अपनी शादी कर ली। एक और साहब कहते है कि मेरे आत्मीय और स्वजन हर वक्त मुझे घेरे रहा करते थे इसलिए मैने शादी कर ली। और इसका नतीजा यह हुआ कि अब मुझे शान्ति है। अब मेरे यहाँ कोई नहीं आता। एक साहब तमाम उम्र दूसरों की शादी-ब्याह पर व्यवहार और भेट देते-देते परेशान हो गये तो आपने उनकी वापसी की गरज से आखिरकार खुद अपनी शादी कर ली।

और साहबो से जो मैने दर्याप्त किया तो उन्होने निम्नलिखित कारण बतलाये। यह जबाब उन्ही के शब्दों में नम्बरवार नीचे दर्ज किये जाते है—

१—मेरे ससुर एक दौलतमन्द आदमी थे और उनकी यह इकलौती बेटी थी, इसलिए मेरे पिता ने शादी की।