वर्णानुक्रमणिका निराशीयं ५८१-२१ प्रयाण ६७८-१० नियत ८८०, ८७०-२३, ७ पृथक् ८००-२१ निश्चय ८६९-४ प्रसाद ४६०-६४ निहत्य ४०७-३६ पार्थ ६४२-४० नेहा ४५६-४० पाच ४०३-१५ नते ६८७-२७ प्राप्य ६४३-४१ नैन ४४२-२३ पिता ७५६, ७०४-४३, १७ नैव ५३०, ६११-१८, ८ पुरुष ६८५, ७६८-२२, २१ पर ८०७,७३२-१, १२ पुरोधसा ७३५-२४ परस् ६८४-२० पुण्य ६५६-६ परित्राण ५६४-८ पूर्वा ६४६-४४ पश्य ४०१, ७४७, ७४७-३, ५, बन्धु ६२८-६ बल ६५६-११ पवन ७३६-३१ बहि ७६३-१५ पश्यामि ७४६-१५ बहूनि ५६४-५ पत्र ७११-२६ बहूना ६६४-१६ पच ८७२-१३ ब्रह्म ५८२, ६११, ६०२-२४, १०, प्रकृते ५४१, ५४१-२७, २६ ५४ प्रज ४७५-५५ ब्रह्मणो ८१३-२७ प्रकृति ७६६, ६६७-१८, ८ ब्राह्मण ८६४-४१ प्रकाश ८१२-२२ बाह्य ६१६-१६ प्रकृत्यै ८०१-२६ बीज ६५६-१० प्रवृत्ति ८८२, ८४०-३०,७ बुद्धि ४७०, ७२३-५०, ४ प्रलपन् ६११-८ बुद्धया ६०२-५१ प्रह्लाद ७३६-३० बुद्धे ८८२-२६ प्रशान्त ६३१, ६३६-१४, २७ भक्त्या ७६१, ९०२-५४, ५५ प्रयत्न ६४७-४५ भयात् ४५१-३५
पृष्ठ:गीता-हृदय.djvu/९२०
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