२. मार्क्सवाद और धर्म ११५ clamorous declaration of war upon religion as stupid, and stated that it would be the best means of reviving religion and retarding its death. Engels accused the Blanquists of failing to understand that only the class struggle of the workers, by drawing the masses into class-conscious revolu- tionary practical work, can really liberate the oppressed masses from the yoke of religion.... and with equal ruthlessness condemned his pseudo- revolutionary idea of suppressing religion in socialist society.” इसका अभिप्राय है कि, “इसीके साथ एगेल्सने उन लोगोकी भर्त्सना की, जिनने सोशल डेमोक्रेटिक पार्टीकी अपेक्षा ज्यादा वामपक्षी या काति- कारी बननेके गुमानमे श्रमजीवियोकी पार्टीके कार्यक्रममे नास्तिकताको साफ-साफ स्वीकार करनेकी बात रखनेकी कोशिश की। इसमें उनका साफ मतलब था धर्मके खिलाफ जेहाद बोलना-युद्धघोषणा करना। पेरिसवाले कम्यून (साम्यवादी सरकार)से भागके जो ब्लाकी (अरा- जकतावादी नेता) के अनुयायी लडनमे रहते थे उनने जो महत्त्वपूर्ण घोषणा- पत्र प्रकाशित किया था उसके सम्बन्धमे १८७४में बोलते हुए एगेल्सने उनकी धर्मविरोधी युद्धघोषणाकी लम्बी बातोको मूर्खतापूर्ण बताया और कहा कि धर्मकी मौतको रोकके उसे फिरसे फैलानेका सबसे सुन्दर साधन यह युद्धघोषणा ही हो जायगी। एंगेल्सने ब्लांकीके अनुयायियोपर यह भी आरोप लगाया कि वह यह समझते ही नहीं कि सिर्फ श्रमजीवियोंकों वर्गसंघर्ष ही, जनसमूहको वर्गचेतनायुक्त कातिकारी अमली काममें खीचके, पीडित जनताको सचमुच धर्मके जुएसे मुक्त कर सकता है। .और
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