पृष्ठ:ग़दर के पत्र तथा कहानियाँ.djvu/६८

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जख्मी हुआ, आप वीती की पहली कथा पहाड़ी पर वापस लाएँ, किंतु विद्रोहियों ने उन्हें आते देखा, तो गोलियों की भरमार कर । दी निदान साहब का घोड़ा और सार किसी तरह भागकर बचे । ये विद्रोहो जब नगर के निकट पहुंचे, तो दैवयोग से डिप्टी-कलक्टर करंभरा साहब पर उनकी दृष्टि पड़ी, और उन पर भी गोलियाँ वर्सानी शुरू कर दीं, मगर उन्होंने भाग- कर जान बचाई। धीरे-धीरे दिन-भर में बहुत-सी युद्ध-सामग्री खुर्ज में जमा हो गई थी, और हमको पूरी आशा थी कि यदि तोपखाना बिगड़ न गया और वरावर काम देता रहा, तो जब तक मेरठ से कुमुक पहुँचे, हम तमाम अँगरेज, सार्जंट और ईसाई यहाँ बुर्ज में पूरी रक्षा के साथ रह सकते हैं । किंतु यह मालूम न था कि भाग्य मेरठ में क्या गुल खिला रहा है। दिल्ली से बिदा . किंतु जब सव तरफ से आशा जाती रही, और कोई सहारा न रहा, तो लाचार तमाम जंगी अफसरों की सम्मति से यह निर्णय हुआ कि मेरठ चलना चाहिए । निदान तमाम स्त्रियां और वे लोग, जो लड़ने के योग्य न थे, सबको बग्घियों में सवार कराकर वजीरावाद के घाट से, जो छावनी से करीव था, जमना पार उतारकर रवाना कर दिया। बग्घियाँ और दोनो तोपों को.