आप बीती की पहली कथा सेना को समझा रहे थे, किंतु सेना का रुख खराब हो रहा था । वह अपनी नाराजी प्रकट कर रही थी और उनकी ओर से विश्वास नहीं हुआ था। पहाड़ी के चारो तरफ सारी सेना जमा थी। मैं भी उनके पास गया, और बैठकर उनसे बातें करने लगा। सिपाहियों ने जब यह खबर सुनी, ५४ न० को रेजिमेंट के तमाम अफ- सरों को रेजिमेंट ने खुद मार डाला, तो उसने बहुत खेद प्रकट किया, और कहा कि यह बात हमें बहुत बुरी मालूम हुई है। तब मैंने उनसे पूछा, तुम हमारा साथ दोगे या मुझे और मेरे बाल-बचों, बल्कि तमाम अँगरेजों को मारे नाते हुए देखोगे ? इसके जवाब में बहुत-से सिपाहियों ने एक स्वर से कहा कि जहाँ पापका पसीना गिरेगा, वहाँ हम खून बहायेंगे । और, जब तक में बैठा रहा, वे मुझसे निहायत अदव व लिहाज से पेश आते रहे। पहाड़ी ऊँची जगह पर थी, इसलिये हम शहर को अच्छी तरह देख सकते थे। शहर में कई जगह आग की लपटें उठती दिखलाई पड़ती थीं। प्रकट में वे सब मकान अँगरेजों के मालूम पड़ते थे। इसी बीच में मेग़जीन उड़ा, जिसे देख- कर तमाम सिपाही अपने-अपने हथियार लेकर और शोर मचाकर तथा असभ्य संकेत करते हुए दौड़ पड़े। उस समय इनको कठिनाई से रोका | मैं उस समय अफसरों के साथ मौज के बीच में था । उस समय तक मैंने कोई गंदी बात । ।
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