आप बाती की पहली कथा हिंदोस्तानी पैदलों को ३८वीं रेजिमेंट का एक अफसर अपनी विपत्ति का हाल इस प्रकार बयान करता है-११ तारीख को लगभग १०॥ बजे प्रातःकाल मेरा नौकर भागता हुआ मेरे कमरे में आया, और बड़ी घबराहट से कहने लगा कि शहर में बड़ी खलबली मच रही है। लोग कह रहे हैं कि मेरठ की तमाम हिंदोस्तानी फौज दिल्ली पर कब्जा करने के लिये बढ़ी चली आ रही है। सबसे पहले विद्रोह की जो खबर मैंने सुनो, वह यही थो-चूंकि मेरा बँगला छावनी ही में था। इसलिये मैं यह खबर सुनते ही इनसाइन कमियर साहब एजीटन-३८ रेजिमेंट हिंदास्तानी के बंगले की तरफ पैदल चल दिया। वहाँ जाकर मैंने देखा कि कमांडिंग अफसर और कर्नल न्यूट साहब, दोनो उपस्थित हैं। उन्होंने भी मेरी खबर का समर्थन किया, और कहा कि हिंदोस्तानी प्यादों की एक रेजिमेंट नं. ५४ मय तोपों के शहर में भेजी गई है, और दो कंपनियाँ नंबरी ३८ व ७४ रेजिमेंट की पहाड़ी पर, जो शहर और छावनी के बीच में है, कयाम करेंगी। बाकी सिपाही इन रेजिमेंटों के किसी दूसरी जगह न भेजे जायेंगे। लेकिन अपनी छावनी में हर समय सशस्त्र तैयार
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