ग़दर के पत्र ३३ कर रहा है। और हमारी वाई और नदी की ओर से दो तोपों के जरिए भी उसकी गोले-बारी अब तक वरावर जारी है। सलेमगढ़ भी हमारी तमाम पश्चिमी बैटरियों पर गोले और बम फेक सकता है। इन सब कठिनाइयों के होने पर भी हमारी कार्रवाइयाँ उन्नति कर रही हैं, और मुझे विश्वास है कि हल्ला कल या परसों शुरू हो जायगा । कमांडिग अफसरों को कुल हिदायतें मिल गई। सब स्थानों पर रक्षा का पूरा-पूरा प्रबंध कर लिया गया है। केवल बाहर निकलकर उनके अचा. नक आक्रमणों की रोक-थाम के लिये कुछ नहीं किया गया। और, वह इन आक्रमणों का कुछ भी प्रबंध नहीं कर सकते । घिर जानेवाली सेना में से सिपाहियों के भाग जाने के संबंध में मुझे कोई विश्वस्त सूचना नहीं मिली है। घेरा डालना बच्चों का खेल नहीं। पर कोई शक्ति हमारी सेना की वीरता में बाधक नहीं हो सकती। और, तमाम बातों पर ध्यान देते हुए हमारी हानियाँ भारी नहीं कही जा सकती। कुछ अफसरों के नाम उपर वयान कर दिए गए हैं। इनके अलावा नीचे लिखी हानियाँ भी हुई है-घायल-मेजर केबल तोपखाना । लेफ्टिनेंट अरल तोपखाना । लेफ्टिनेंट गल्पी तोपखाना । चांसलर ७५वीं रेंडल ५६वी देशी पैदल फौज । लागहार्ट ला। ईटन ६०वीं राइफलज । मुझे और किसी का नाम याद नहीं आता । विलियम एडवर्डज फतहगढ़ के निकट किसी गाँव में बाल-बच्चों सहित
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