पत्र न. ११ (जिसे पूर्व लेखक ने पूर्व महाशय को लिखा था।) कैंप देहली १३ सितंबर, ५७ प्रिय वारेंस! फिलहाल मोरी दर्वाजे का बुर्ज भारी तोपें लगाने के योग्य नहीं, फिर भी छोटी तो वहाँ से कभी-कभी धोका देने के अभिप्राय से चला दी जाती हैं। कश्मीरी दर्वाजे का बुर्ज प्रभावोत्पादक ढंग से शांत कर दिया गया है। और, अब वह खंडहर का एक ढेर है, और तोपों के जो गोले वहाँ फेके जा रहे हैं, उनकी उपस्थिति में उस स्थान पर किसी को टिकने की हिम्मत नहीं होती। बुर्ज के दाइनी भोरवाली सील में बहुत बड़ा सूरान कर दिया गया है। और, हमारे गोले इस दरार को क्रमशः बढ़ा रहे हैं । बाईं तरफ की दरार डालने- बालो बैटरी ने, जो कस्टम हाउस के कंपाउंड की दीवार से १८० गज के अंतर पर लगाई गई थी, सिर्फ कल से गोला- बारी शुरू की है। इस तोपखाने की तामीर में बड़े भारी मंझटों का सामना हुआ, और जंगी कार्रवाइयों में देर भी हो गई। पहले इसे कुदसिया धारा में लगाने का
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