ग़दर के पन्न फसील के पीछे रहकर कुछ-न-कुछ कारगुजारी अवश्य दिखा सकते हैं। और, जो भारी तोपों का भी कुछ उपयोग जानते हैं (यही कारण है कि शनिवार के दिन गोला-बारी की दुरुस्ती से हमें नीचा दिखा दिया)। बस, अंबालेवाली फौज और छ तोपें रखनेवाली दो पल्टने इस पर कभी अपना अधिकार नहीं जमा सकती, और इसकी वर्तमान शक्ति का बहुत ही कम अनुमान किया गया है। बावली की सराय पर हम एक पड़ाव मार चुके हैं । जहाँ विद्रोही उस समय तक हमारा भयानक सामना करते रहे, जब तक कि उनकी तो उनके अधीन रहीं। इसके बाद से हम पर बराबर हमले हो रहे हैं, हर नया हमला बड़े जोरों से किया जाता था । परंतु भारी हानि के साथ विफल कर दिया जाता था, और अब हम उस मोर्चे पर पहुंच गए हैं, जहाँ से उस स्थान को तोड़ा जा सकता है। मेरे विचार से उत्तम नीति यह है कि इसे कठिन काम की तरह असली रंग में देखा जाय, और यह बात अच्छी तरह से समझ ली जाय कि इसे यथेष्ट सेना के विना संपादन करना संभव नहीं। जरा एक बार हम शहर में पहुँच जायँ, फिर तो बाजी हमारी ही है, वशते कि हम कब्ज़ा रख सकें। और, फिर नब कभी मि० काल्विन को जिस किसी अभिप्राय के लिये सेना की जरूरत होगी, वह उन्हें एकत्रित कर दी जायगी। देर करना अति कष्टदायक है, और प्रतिदिन इनके आक्र.
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