बंद कर लूँ। पर उन्होंने कहा, नहीं, हमें कुछ भय नहीं।
इसके बाद एक बड़ा दल लाठियाँ, तलवारें और बर्छियाँ लेकर
अहाते में आ गया। साहब बंदूक लिए ज़ीने में खड़े थे। उन्होंने
पूछा, तुम क्यों आ रहे हो? और क्या चाहते हो? उन्होंने
सिवा गालियों के कुछ जवाब न दिया। और कहा, हम हरएक
फ़िरंगी को मारेंगे। साहब यह सुनकर भीतर चले गए, और
दरवाज़ा बंद न किया। इनके पीछे वे सब भीतर घुस आए।
नौकर सब भाग गए। सिर्फ़ मैं रह गया। जब वे सब भीतर
घुस आए, तब क्लार्क साहब ने कहा, ये सब चीज़ें ले जाओ,
पर हमको न मारो। लेकिन उन्होंने साहब को गाली देकर
और उनकी मेम की ओर देखकर कहा, क्या यह तुम्हारी मेम
है? यह कहकर ख़ूब हँसे। अब उन्होंने सब असबाब को
तोड़ना-फोड़ना और लूटना शुरू किया। हमारी मेम साहब ने
तीनो बच्चों को लेकर गुसलखाने का दरवाज़ा बंद कर लिया
था। क्लार्क साहब मेरे पीछे बंदूक़ लेकर खड़े हो गए। उन्होंने
बंदूक़ देखी, तो कहा, यह हमें दे दो। उनमें से एक आदमी
मेम साहब के पास गया, और उनके गालों को छूकर बेहूदा
बकने लगा। क्लार्क साहब वह देखकर चिल्लाए, और कहा
कि ओ सुअर! और उसे गोली से मार दिया। दूसरे को दूसरी
गोली से ज़ुख्मी करके बंदूक़ की नाल से मारने लगे। यह
देखकर मैंने समझा कि अब ये लोग सबको मार डालेंगे। मैं
भागकर ग़ुसलखाने की तरफ़ गया कि मेम साहब को निकाल
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ग़दर के पत्र