पृष्ठ:ग़दर के पत्र तथा कहानियाँ.djvu/१३६

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, । ग्यारहवीं कथा चित्रकार रोड साहब अपने भागने और ६ हाते के सफर का हाल, जिस बीच में वह देहली से आगरे तक पहुँचे थे, इस तरह लिखते हैं- मैं जीलोल साहव रेलवे इंजीनियर और एच० स्पेंसर साहब और कमिंग साहब (ये भी रेलवे इंजीनियर थे) के बँगले पर रहता था। यह बहुत सज्जन, मिलनसार और अतिथि-सत्कार करनेवाले हैं। इनका बंगला देहली से २ मील दक्षिण में है। सुबह नौ बजे के लगभग हमने झगड़े की खबर सुनी । दस बजे दो घुड़सवार विना घोड़ों के हमारे दरवाजे पर आए । ठीक १२ बजे घर लूटा, और पाँच अँगरेज़ वहाँ मारे गए। छावनी और शहर के तमाम बँगले उस रोज दिन- भर जलते रहे । जिस दिन हमने नगर छोड़ा, दो बजे के लग. भग अत्यंत भयानक और शोक-प्रद समाचार सुन पड़े। हमने सावधानी को वास्तविक वीरता समझकर थोड़ा-सा आवश्यक सामान इकट्ठा किया, और बाबू को आज्ञा दी कि नौकरों को सामान के साथ भेज दे । इसके बाद हम भी चल दिए, और धीरे-धीरे पक्की सड़क के किनारे- किनारे चले । हुमायूँ के मकबरे में १५० सवार भागे हुए