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ग़दर के पत्र ३ । मेरे तोपखानेवालों का भी यह कहना है कि हम इन तोपों को, जो मेरे पास हैं, नहीं चला सकते । अब मेरे पास एक ही उपाय रह गया है, और इसे भी पूरी तरह आजमा लेना चाहिए। यदि इसमें सफलता न हुई, तो मेरे पास कोई रक्षित सेना न रहेगी। और, यह (मानो) सर्वनाश के चिह्न होंगे। हिंदास्तान के लिये कौन-सी बात कम हानिकर है-इमदादी फोज (कुमुक) की प्रतीक्षा में समय नष्ट किया जाय, या असफलता का भय तह लिया जाय ? विद्रोही दूसरे प्राक्रमण की तैयारी कर रहे हैं, इसलिये जल्दी ही इस पन को खतम कर रहा हूँ ! मिस्टर लारेंस से मेरा सलाम कह दीजिए। विश्वासी- वर्नार्ड (जनरल हेनरी बर्नार्ड, कमांडर-इन-चीफ) एच० एच०