पृष्ठ:ग़दर के पत्र तथा कहानियाँ.djvu/११७

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छठी कथा डॉक्टर बालफोर साहब देहली से अपने भागने का हाल इस प्रकार कहते हैं-जब यह निश्चय हो गया कि शहर देहली छोड़ देना चाहिए, तो लैवास साहब ने अपनी बग्घी मुझे दी। मैंने अपनी बहन मिस स्मिथ को अपने पास बिठाया, और रास्ते से लेफ्टिनेंट टामस इंजिनियर और मेम डानिश मय फ्रेजर साहब के बच्चे के, जो इस वक्त उनकी गोद में था, सबको बग्घी में बिठाकर करनाल की तरफ चल दिए । लेफ्टिनेंट टामस ने कहा-यह उत्तम होगा कि नहर को उतरकर उस थाने पर चलें, जो रास्ते में है। वहाँ पहुँचकर जिधर की सलाह होगी, चल देंगे । निदान, हमने ऐसा ही किया, और छोटे थाने तक पहुँचे । दूसरे दिन प्रातःकाल हम चलने की सलाह कर ही रहे थे कि ओहद का जमींदार, जो जाट था, हमारे पास आया, और कहा कि हमने देहली के कत्ल और गड़बड़ का हाल सुना है । अगर तुम चाहो, तो हम तुम्हें रक्षा में रख सकते हैं । मैंने सबको सलाह दी कि इसको स्वीकार करना चाहिए । निदान, रात को हम सब उसके साथ गांव में गए, और वहाँ उसने हमको ४-५ दिन तक रक्खा, और बेहद खातिर की।