एक भाई है। वह अवश्य एक दिन तुमको मिलेगा। आज तुम्हारी स्वर्गीया माता की भविष्यवाणी पूरी हुई।"
( ७ )
चार मास के बाद डाक्टर राजनाथ ने नीचे लिखा हुआनिमन्त्रण-पत्र अपने मित्रों के नाम भेजा-
मेरे भानजे श्रीसतीशचन्द विद्यानिधि, एम० ए० का विवाह जौनपुर के सुप्रसिद्ध रईस स्वर्गीय पण्डित शिवप्रसादजी की कन्या के साथ होना निश्चित हुआ है। आपसे प्रार्थना है कि वसन्त पञ्चमी के दिन शाम को मेरे निवास स्थान पर पधार कर, भोज में सम्मिलित हूजिए और दूसरे दिन प्रातःकाल ९ बजे की ट्रेन से बरात में सम्मिलित होकर मेरी मान-वृद्धि कीजिए।
निवेदक—
राजनाथ ।"
कहने की ज़रूरत नहीं कि सरला का विवाह सतीश के साथ बड़ी धूम-धाम से हो गया। रामसुन्दर ने उसकी कुल सम्पत्ति दहेज में सरला के अर्पण कर दी। आज तक रामसुन्दर और सतीश मित्रता के ही जबरदस्त पाश में बद्ध थे। अब वे मित्रता और आत्मीयता के डबल पाश में बेतरह जकड़ गये!
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