कुमार—सुलतान का भ्रातृ-पुत्र शाह जमाल तुम्हें देख कर उन्मत्त-सा हो गया है वही सेनापति होकर आवेगा, यह भैरव ने हमसे कहा है। वह उन लोगों के साथ बड़ी दूर तक गया था। उसने यह बात उन लोगों के मुख से सुनी है।
यह सुनकर कमलावती के हृदय में भय होने लगा। एक अनिष्ट की आशंका होने लगी। क्या उसके लिये उसकी जननी जन्मभूमि का सर्वनाश होगा? क्या उसी के लिये शाह जमाल गुर्जर पर आक्रमण करेगा?
कुछ क्षण बाद कमलावती ने कहा—कुमार, तुम इसका भय मत करो। मैं राजपूत की कन्या हूँ। मैं अपना घर्म भली-भाँति जानती हूँ समय आने पर हम लोगों के लिये चिताग्नि चन्दन-प्रलेप के समान शीतल हो जाती है।
कुमार के नेत्रों में जल भर आया। वे वहाँ से चले गये। कमलावती ने आकाश की ओर देख कर करुण-स्वर से कहा—भगवन, सोमनाथ! सहस्रो कमलावती चाहे काल के भीषण स्रोत में बह जाँय ; पर देखना प्रभो, कुमार गुर्जर की रक्षा भली भाँति करें।
(५)
सिन्धुदेश में समुद्र-तीर से दस कोस पर सुलतान महमूद ने एक नगर बसाया था। वह अब भी महमूदाबाद के नाम से प्रसिद्ध है। भारत में राज्य स्थापित करना, यह महमूद का आन्तरिक उद्देश्य न था और इसके लिये उसने प्रयत्न भी नहीं किया।