जीवित है, तब तक विपद् का अभाव न रहेगा; पर यह ध्यान रक्खो , हम भी विपद् को ही खोजते रहते हैं।
कमला ने कठोर दृष्टि-पात कर पूछा—कैसे?
कुमार—क्या यह नहीं जानती हो? स्मरण है, सोमनाथ के मन्दिर में आपने क्या प्रतिज्ञा की थी और क्या स्वीकार किया था? यदि विपद् न आयेगी, तो कुमार सिंह का बाहु-बल कैसे प्रगट होगा?
कमला गम्भीर होकर बोली—कुमार, यह समय सुख-कल्पना करने का नहीं है। गुर्जर का सारा भार तुम पर है। पिता वृद्ध हैं। वे तुम पर विश्वास करते हैं।
कुमार—यह सब जानता हूँ। जीवन रहते मैं कर्त्तव्य से पराङ्मुख न हूँगा। तुम इसकी चिन्ता मत करो। पर मुझे एक बात की चिन्ता है।
कमला—कौन बात? मुझसे संकोच न करना।
कुमार—कमला, युद्ध में सब अनिश्चित रहता है। कौन जानता है कि क्या होगा? यदि कहीं मैं युद्ध में मारा जाऊँ?
कमला—कुमार, तो मैं स्वर्ग में जाकर तुम्हारे चरणों को चूमूँगी।
कुमार—कमला, मैं यही सुनना चाहता था। मुझे ऐसा जान पड़ता है कि तुम्हारे लिये ही नीच 'महमूद' गुज्जर पर आक्रमण करेगा।
कमला—यह आपने कैसे जाना?