पृष्ठ:गल्प समुच्चय.djvu/१४

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(१) अनाथ-बालिका
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पण्डित राजनाथ, एम॰ डी॰ का व्यवसाय साधारण नहीं है। शहर के छोटे-बड़े-अमीर-ग़रीब सभी उनको अपनी बीमारी में बुलाते हैं। इसके कई कारण हैं। एक तो आप साधु पुरुष हैं; दूसरे बड़े स्पष्ट वक्ता हैं; तीसरे सदाचार की मूर्ति हैं। चालीस वर्ष की अवस्था हो जाने पर भी आपने अपना विवाह नहीं किया। ईश्वर की कृपा से आपके पास रुपये और मान की कमी नहीं। अतुल धन और अमित सम्मान के अधिकारी होने पर भी आप बड़े जितेन्द्रिय, निरभिमान और सदाचारी हैं। गोरखपुर में आपको डाक्टरी शुरू किये सिर्फ सात ही वर्ष हुए हैं; पर शहर के छोटे-बड़े सबकी ज़बान पर राजा-बाबू का नाम इस तरह चढ़ गया है; मानों वे जन्म से ही वहाँ के निवासी हैं। आपका कद ऊँचा, शरीर छरेरा और चेहरा कान्ति-पूर्ण गोरा है। मरीज़ से बात-चीत करते ही उसकी तकलीफ़ आप कम कर देते हैं। इस कारण साधारण लोग आपको जादूगर तक समझते