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कामना-तरू


हिम्मत न पड़ती थी। चन्दा क्यों जल लेने गई थी? घर में पानी भरा हुआ है। फिर इस समय वह क्यों पानी लेने निकली?

कुँअर दौड़कर उसके पास जा पहुँचे और उसके हाथ से गागर छीन लेने की चेष्टा करते हुए बोले––मुझे दे दो और भागकर छाँह में चली जाओ। इस समय पानी का क्या काम था?

चन्दा ने गागर न छोड़ी। सिर से खिसका हुआ अंचल सँभाल कर बोली––तुम इम समय कैसे आ गये? शायद मारे गरमी के अन्दर न रह सके!

कुँअर––मुझे दे दो, नहीं मैं छीन लूँगा।

चन्दा ने मुस्कुराकर कहा––राजकुमारों को गागर लेकर चलना शोभा नहीं देता।

कुँअर ने गागर का मुँह पकड़कर कहा––इस अपराध का बहुत दण्ड सह चुका हूँ। चन्दा, अब तो अपने को राजकुमार कहने में भी लज्जा आती है।

चन्दा––देखो धूप में खुद हैरान होते हो और मुझे भी हैरान करते हो। गागर छोड़ दो। सच कहती हूँ, पूजा का जल है।

कुँअर––क्या मेरे ले जाने से, पूजा का जल अपवित्र हो जायगा?

चन्दा––अच्छा भाई नहीं जानते, तो तुम्हीं ले चलो। हाँ नहीं तो!

कुँअर गागर लेकर आगे-आगे चले। चन्दा पीछे हो ली। बग़ीचे में पहुँचे, तो चन्दा एक छोटे-से पौधे के पास रुक कर