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रहे थे, पर रमानाथ ने चपत नहीं लगाई, मोढ़े पर बैठकर गोपीनाथ से बोला तुमने भंग की दुकान देखी है न, नुक्कड़ पर?
गोपीनाथ प्रसन्न होकर बोला–हाँ, देखी क्यों नहीं।
'जाकर चार पैसे का माजून ले लो, दौड़े हुए आना। हाँ, हलवाई की दुकान से आधा सेर मिठाई भी लेते आना। यह रुपया लो।'
कोई पंद्रह मिनट में रमा ये दोनों चीजें ले जालपा के कमरे की ओर चला।