यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

दारोगा के हँसने पर देवीदीन और भी तेज हुआ तो आपने कहा किस मुँह से था?

दारोगा—कहा तो इसी मुँह से था, लेकिन मुँह हमेशा एक सा तो नहीं रहता। इसी मुँह से जिसे गाली देता हूँ, उसकी इसी मुँह से तारीफ भी करता हूँ।

देवीदीन (तिनककर) यह मूंछे मुड़वा डालिए।

दारोगा-मुझे बड़ी खुशी से मंजूर है। नीयत तो मेरी पहले ही थी, पर शर्म के मारे न मुड़वाता था। अब तुमने दिल मजबूत कर दिया।

देवीदीन-हँसिए मत दारोगाजी, आप हँसते हैं और मेरा खून जला जाता है। मुझे चाहे जेहल ही क्यों न हो जाए, लेकिन मैं कप्तान साहब से जरूर कह दूँगा। हूँ तो टके का आदमी, पर आपके अकबाल से बड़े अफसरों तक पहुँच है।

दारोगा—अरे, यार तो क्या सचमुच कप्तान साहब से मेरी शिकायत कर दोगे?

देवीदीन ने समझा कि धमकी कारगर हुई। अकड़कर बोला-आप जब किसी की नहीं सुनते, बात कहकर मुकर जाते हैं, तो दूसरे भी अपने सी करेंगे ही। मेमसाहब तो रोज ही दुकान पर आती हैं।

दारोगा-कौन, देवी? अगर तुमने साहब या मेमसाहब से मेरी कुछ शिकायत की, तो कसम खाकर कहता हूँ कि घर खुदवाकर फेंक दूंगा!

देवीदीन—जिस दिन मेरा घर खुदेगा, उस दिन यह पगड़ी और चपरास भी न रहेगी, हुजूर।

दारोगा—अच्छा तो मारो हाथ पर हाथ, हमारी-तुम्हारी दो-दो चोटें हो जाएँ, यही सही।

देवीदीन—पछताओगे सरकार, कहे देता हूँ, पछताओगे।

रमा अब जब्त न कर सका। अब तक वह देवीदीन के बिगड़ने का तमाशा देखने के लिए भीगी बिल्ली बना खड़ा था। कहकहा मारकर बोला-दादा, दारोगाजी तुम्हें चिढ़ा रहे हैं। हम लोगों में ऐसी सलाह हो गई है कि मैं बिना कुछ लिए-दिए ही छूट जाऊँगा, ऊपर से नौकरी भी मिल जाएगी। साहब ने पक्का वादा किया है। मुझे अब यहीं रहना होगा।

देवीदीन ने रास्ता भटके हुए आदमी की भाँति कहा—कैसी बात है भैया, क्या कहते हो! क्या पुलिस वालों के चकमे में आ गए? इसमें कोई-न-कोई चाल जरूर छिपी होगी।

रमा ने इत्मीनान के साथ कहा-और बात नहीं, एक मुकदमे में शहादत देनी पड़ेगी।

देवीदीन ने संशय से सिर हिलाकर कहा-झूठा मुकदमा होगा?

रमानाथ–नहीं दादा, बिल्कुल सच्चा मामला है। मैंने पहले ही पूछ लिया है।

देवीदीन की शंका शांत न हुई। बोला—मैं इस बारे में और कुछ नहीं कह सकता भैया, जरा सोच-समझकर काम करना। अगर मेरे रुपयों को डरते हो, तो यही समझ लो कि देवीदीन ने अगर रुपयों की परवाह की होती, तो आज लखपति होता। इन्हीं हाथों से सौ-सौ रुपए रोज कमाए और सब-के-सब उड़ा दिए हैं। किस मुकदमे में सहादत देनी