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याद करेंगे।

दारोगा-बक-बक मत कर, यहाँ धर्म कमाने नहीं आया हूँ।

देवीदीन—बहुत तंग हूँ हुजूर, दुकानदारी तो नाम की है।

कांस्टेबल- बुढिया से माँग जाके।

देवीदीन-कमाने वाला तो मैं ही हूँ हुजूर, लड़कों का हाल जानते ही हो। तन-पेट काटकर कुछ रुपए जमा कर रखे थे, सो अभी सातों-धाम किए चला आता हूँ। बहुत तंग हो गया हूँ।

दारोगा-तो अपनी गिन्नियाँ उठा ले। इसे बाहर निकाल दो जी।

देवीदीन—आपका हुकुम है, तो लीजिए जाता हूँ। धक्का क्यों दिलवाइएगा।

दारोगा-कांस्टेबल इन्हें हिरासत में रखो। मुंशी से कहो इनका बयान लिख लें।

देवीदीन के होंठ आवेश से काँप रहे थे। उसके चेहरे पर इतनी व्यग्रता रमा ने कभी नहीं देखी, जैसे कोई चिडिया अपने घोंसले में कौवे को घुसते देखकर विह्वल हो गई हो। वह एक मिनट तक थाने के द्वार पर खड़ा रहा, फिर पीछे गिरा और एक सिपाही से कुछ कहा, तब लपका हुआ सड़क पर चला गया, मगर एक ही पल में फिर लौटा और दारोगा से बोला-हुजूर, दो घंटे की मुहलत न दीजिएगा?

रमा अभी वहीं खड़ा था। उसकी यह ममता देखकर रो पड़ा। बोला-दादा, अब तुम हैरान न हो, मेरे भाग्य में जो कुछ लिखा है, वह होने दो। मेरे भी यहाँ होते, तो इससे ज्यादा और क्या करते! मैं मरते दम तक तुम्हारा उपकार...

देवीदीन ने आँखें पोंछते हुए कहा-कैसी बातें कर रहे हो, भैया! जब रुपए पर आई तो देवीदीन पीछे हटने वाला आदमी नहीं है। इतने रुपए तो एक-एक दिन जुए में हार-जीत गया हूँ। अभी घर बेच दूँ, तो दस हजार की मालियत है। क्या सिर पर लाद कर ले जाऊँगा। दारोगाजी, अभी भैया को हिरासत में न भेजो, मैं रुपए की फिकर करके थोड़ी देर में आता हूँ।

देवीदीन चला गया तो दारोगाजी ने सहृदयता से भरे स्वर में कहा है तो खुर्राट, मगर बड़ा नेक। तुमने इसे कौन सी बूटी सुँघा दी?

रमा ने कहा—गरीबों पर सभी को रहम आता है।

दारोगा ने मुसकराकर कहा-पुलिस को छोड़कर, इतना और कहिए। मुझे तो यकीन नहीं कि पचास गिन्नियाँ लावे।

रमानाथ-अगर लाए भी तो उससे इतना बड़ा तावान नहीं दिलाना चाहता। आप मुझे शौक से हिरासत में ले लें।

दारोगा—मुझे पाँच सौ के बदले साढ़े छह सौ मिल रहे हैं, क्यों छो? तुम्हारी गिरफ्तारी का इनाम मेरे किसी दूसरे भाई को मिल जाए, तो क्या बुराई है?

रमानाथ–जब मुझे चक्की पीसनी है, तो जितनी जल्द पीस लूँ, उतना ही अच्छा। मैंने समझा था, मैं पुलिस की नजरों से बचकर रह सकता हूँ। अब मालूम हुआ कि यह बेकली और आठों पहर पकड़ लिए जाने का खौफ जेल से कम जानलेवा नहीं।