पृष्ठ:खूनी औरत का सात ख़ून.djvu/९१

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
( ८७ )
सात खून।


अगर सचमुच तुम बेकसूर होगी, तो नारायण जरूर तुम्हें उचारेगा।मैं जात का राजपूत हूं और परमेश्वर पर मेरा पूरा पूरा विश्वास है । इस लिये यह बात मैं दावे के साथ कह सकता हूँ कि अगर तुम सच मुच बेकसूर होगी, तो परमात्मा तुम्हें जरूर इस आफत से बचायेगा।"

मैं बोली,--"भाईसाहब, मेरी बात पर तुम चाहे विश्वास करो, या न करो; पर मैं यह ठीक कहती हूं कि मैने किसीका खून नहीं किया है । यदि हिरवा नाऊ फी बात लीजाय, तो उसे भी मैने अपने होशहवास में नहीं मारा । तुम तो वहां पर मौजूद थे, इसलिये तुमने मेरा बयान जरूर ही सुना होगा । बस, इस बात को तुम ठीक जानो कि मैंने अपने बयान में जो कुछ कहा है, उसमें झूठ का जरा भी छूआछूत नहीं है।"

यह सुनकर उस कांस्टेबिल ने कहा,--"हां, दुलारी ! यह तुम ठीक कहती हो । मैं जरूर वहां पर मौजूद था और मैने बड़े गौर के साथ तुम्हारा बयान भी सुना है । तुम्हारे बयान को सुनकर मेरा भी जी यही कहता है कि, 'जो कुछ तुमने अपने बयान में कहा है, उसमें रत्तीभर भी झूठ या बनावट नहीं है;' पर मुझ एक अदने कांस्टेबिल के समझगे से होता हो क्या है ? कल रात को कोतवाल साहब के पास कई लोग बैठे थे और मैं भी वहीं पर खड़ा था । उस वक्त तुम्हारे ही मामले की बात होरही थी। सो, कोतवाल साहब को तो तुम्हों पर पूरा पूरा शक है और वे तुम्हीं फो 'खूनी असामी' समझ रहे हैं । उस समय मैंने कुछ कहना चाहा था, पर अपनी हैसियत का खयाल करके मेरी हिम्मत ने मुझे कुछ कहने सुनने से रोक दिया । मगर खैर, अब तुम अपने इष्टदेव का ध्यान करो, क्योंकि सिवाय उसके, और कोई भी इस समय तुम्हारा मददगार नहीं होसकता । "

यो कहकर उस बेचारे ने मेरी ओर पड़ी करुणा से देखा और

(१९)रा०