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सात खून।


मैं बोली,--'यह किसने कहा कि मैंने ये खून किये हैं ? आप पहिले मेरा बयान लिख लें, फिर उस खून की जांच करें और मुझे हुकुम दें तो मैं अपने घर वापस जाऊं। "

इसपर उस चौकीदार ने कहा,--"थानेदार साहब,यह तो बड़ा मजेदार मामला नजर आता है !"

यह सुन और मेरी तरफ़ बुरे बुरे इशारे करके थानेदार ने यो जवाब दिया,-"वाकई, मियां हींगन ! यह मामला, दर-असल बड़ा मजेदार है !"

यो कहकर उल पाजी ने मेरी ओर बहुत ही बुरी तरह घूरकर और हंसकर कहा,--"अच्छा, जानी ! तुम्हारा नाम का है ?"

बस बदमाश को बदमाशियों पर खयाल न कर और नीची आंखें करके मैने यों कहा,-" मेरा नाम दुलारी है।

यह सुनकर उसने एक कहकहा लगाया और यों कहा,- " वल्लाह, प्यारी! तुम्हारा नाम तो निहायत मौजू है ! वाकई, तुम सिर्फ दुलारी' ही नहीं हो, बलिक मेरी दुलारी' हो !क्यों? अब आया, तुम्हारी समझ के अन्दर !!!

उस मुए की ऐसी बातें सुनकर मैं बहुत ही कुडघुटाई। किन्तु लाचार थी । हां, इतना मैने मन ही मन जरूर समझ लिया था कि यहां आकर मैंने अच्छा काम नहीं किया।

मैं मन ही मन इली यात हर गौर कर रही थी कि उसगे मुझसे फिर यों कहा,-" लो, सुनो और मेरी ओर देखकर उस खून के बारे का सारा हाल मुफस्सिल कह जाओ।"

यह सुनकर मैने उस खून का सारा हाल कह सुनाया।

यह सुनकर थानेदार ने उठकर मुझे तो जबरदस्ती एक कोडरी में बन्द कर दिया और दो चौकीदारों को मेरे पहरे पर मुकर्रर करके हींगन चौकीदार के साथ मेरी हो साड़ी पर चढ़कर मेरे गांव की तरफ़ कूच किया।