पृष्ठ:खूनी औरत का सात ख़ून.djvu/१५३

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
(१४९)
सात खून।


घर की तलाशी ली जायगी यों उन सिपाहियों से कहकर वह मेरी "कोठरी में घुस गया, लेकिन भीतर वह जादे देर तक न ठहरा और तुरन्त बाहर आकर दालान में खड़ी की हुई चारपाई बिछाकर उस पर बैठ गया।"

इतना कहकर पुन्नी ने अपनी भीगी आंखें पोंछी और फिर यों कहना प्रारंभ किया,—"पुलिस का हंगामा देख सुनकर मेरे घर के और महल्ले के बहुत से आदमी इकट्ठे होगये थे और वे सबके सब पारी पारी से लूकीलाल से यों पूछने लग गये थे कि,—"यह क्या बात है?" इसपर लूकीलाल ने उन सबों से यों कहा कि,—"ये दोनों मेरे यहां काम धंधा करती थीं, सो कल रात को जब ये अपने घर वापस आने लगी तो मेरे बैठके में से मेरे पान तंबाकू की चांदी की डब्बी, जिसकी कीमत कमसे कम तीस चालीस रुपये होगी, चुराकर लेती आई। इसीलिये मैं पुलिस को लिवा लाया हूँ। अगर माल बरामद होगा तो इनको थाने पर भेजा जायगा और जो कुछ न निकला तो पुलिस के साथे मैं वापस चला जाऊंगा।"

वह पापी इतना ही कहने पाया था कि दरोगाजी भी आगए और उन्होंने मेरे मकान के मालिक और दो चार और भी महल्ले के लोगों को साथ लेकर मेरो कोठरी के अंदर जाकर वह चांदी की डब्बी बरामद की!!!"

हाय, यह हाल देखकर हम दोनों बहिनें तो फूट कर रोने धाेने लगीं, और महल्ले के सब आदमी, एक एक करके चले गए। इसके बाद मैंने अपनी कोठरी का ताला लगाकर उसकी ताली मालिक मकान के हाथ में देदी और तब दोनों बहिनें थाने में पहुँचाई गई। फिर वहां से कचहरी में हाकिम के सामने हाजिर की गई और छः छः महीने की सजा पाकर इस जेल के अन्दर भेजदी गई। मैंने पुलिस और हाकिम के आगे बधुतेरा रोना रोया और लूकीलाल