कर सकती हूं ?"
यह सुनकर हाकिम ने मुझ से कहा,--"दुलारी, तुम अगर चाहो तो अपनी तरफ से किसी वकील या मुखवार को खड़ा कर सकती हो ! "
इसपर मैंने यो कहा,--"मेरे पास इस समय एक फूटी कौड़ी भी नहीं है ! फिर बिना पैसा लिये, कोई वकील या मुखतार मेरे वास्ते कैसे खड़ा हो सकेगा ?
हाकिम ने कहा,--"नहीं, पैसे-रुपये की कोई जरूरत नहीं है, अगर तुम चाहो तो सरकार की तरफ से मुफ्त में तुमको वकील- मुखतार मिल सकते हैं।"
मैं बोली,--" नहीं, हुजूर ! इसकी मैं कोई आवश्यकता नहीं समझती। क्योंकि वकील-मुखतार दिन को रात और रात को दिन, या सच को झूठ और झूठ को सच थोड़े ही कर देंगे ? ऐसी अवस्था में झूठ मूठ में किसी वकील या मुखतार को खड़ा करके अदालत का व्यर्थ समय नष्ट करना नहीं चाहती। हां, अगर हुजूर हुकुम दे ता में हज़रत-ललामत (आप) से कुछ पूछं।"
यह सुनकर हाकिम ने कहा,--" तुम जो कुछ पूछना चाहो, बे खौफ़ पूछ सकती हो ?"
यह सुनकर मैं बोली,--" इस खून की तहकीकात में यह बात साफ तौर पर ज़ाहिर होचुकी है कि, 'मेरे घर की सारी चीज-बस्तु गायब होगई हैं । ' क्यों, यह तो ठीक है न ?” .
हाकिम,--" हां, ऐसा हो तो ज़ाहिर हुआ है !"
मैं,--"तो. कौन शख्स मेरे घर की सारी चीजें लूट लेगया?"
हाकिम,--" यह मैं नहीं बतला सकता, क्योंकि इस बारे में मुझे कुछ मालूम नहीं हुआ है !"
मैं,--"अच्छा, कोतवाल साहब ने वह जो मेरे अंगूठे की छाप लगा काराज़ पेश किया है, उसमें एकही तलवार का जिक्र है।