"सुना है जवाहरलाल नेहरू एक जादूगर है। वे जिसकी ओर देखते हैं, वह चाहे जितना गुस्से में हो, मुस्करा उठता है।"
"आप सच कहते है दोस्त। भारत का यह जादूगर आदमियों को ही नहीं, गुस्से से भरे हुए राष्ट्रो को भी हसा देता है। उसे देखते ही दुनियाँ की कौमे मुस्करा उठती है।"
"दूसरे शब्दो में कहना चाहिये, भारत ने गुस्से और अविश्वास से भरी हुई दुनियाँ को मुस्कराहट दी है। जब हमने अणुबम, उद्जन बम और दूर प्रक्षेपणास्त्र दिए है।"
"अजी यो क्यों नहीं कहते कि भय दिया है। आज के युग में जवाहरलाल को छोड़ कर संसार का एक भी मनुष्य भय और खतरे से खाली नहीं है।"
"शायद आप ठीक कहते है, क्या आपने उन्हें देखा है?"
"उन्हें देखने की किसे ज़रूरत है, वे तो अनदेखे ही देखे हुए है।"
जोरोवस्की हस पड़ा। उसने कहा "पाप तो पूरे भारत भक्त है। लेकिन अमरीका क्या भारत का दोस्त है?"
"अमरीका भारत का दोस्त बनना चाहता है।"
"सच? मैं समझता हूँ रूस भी यही चाहता है।"
"तब अमरीका और रूस एक दूसरे के दोस्त बनना क्यों नहीं चाहते?"
"अमेरिका तो चाहता है, उसका दोस्ती का हाथ रूस की ओर फैला हुआ है। रूस ही में हिचकिचाहट है।"
"तो दोस्त, असल बात यह है कि हाथ मिलने से पहले दिल मिलने चाहिए।"
"आप बड़े गहरे है महाशय, दिल का सौदा जरा सोच समझ कर ही होता है।"