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खग्रास

"यथासम्भव हवा का दबाव कम रखा जाता है। कुछ ऐसी परिस्थितियाँ पैदा कर दी गई है, जो भूमि के ४० मील ऊपर से लेकर १०० मील ऊपर तक के बीच पाई जाती है। इस प्रकार ये ऊँचाइयाँ भूमि पर ही लाकर उपस्थित कर दी जाती है।"

"परन्तु गुफा के भीतर यह इतनी तेज चमक कैसी है?"

"हमने इसमे 'नाइसट्र-आक्साइड' प्रविष्ट कराकर यह परिस्थिति उत्पन्न की है। इससे एक चमकीली गैस उत्पन्न हो जाती है, इसी से तुम हवा की अद्भुत हलचल का दृश्य कॉच की खिड़कियों से देख सकती हो।"

"तुम तो काफी ऊँचाई तक उड़ चुके हो, ऊँची ऊँचाई के सम्बन्ध में तुम्हारे क्या अनुभव है?"

"मेरे अनुभव रहस्यपूर्ण और गोपनीय है। अभी मैं उन्हे प्रकट नहीं करना चाहता। केवल इतना कह सकता हूँ कि ऊँची ऊँचाइयो पर उड़ने के समय जिन भीषण परिस्थितियो का सामना करना पड़ता है, उनमे से कुछ का पता हमे लग चुका है। इस सम्बन्ध में एक अगत्य के रहस्य के सम्बन्ध में एक रिपोर्ट मैंने कल ही मास्को भेजी है।"

"वह रहस्य मुझे तो बता ही दो।"

"तुम्हारे लिए गोपनीय क्या है प्रिये! सुनो, बात यह है कि कम घनी होने पर हवा बड़े जोरो से किसी वस्तु पर चोट नहीं करती। अपितु हवा के कण वर्षा की बूँदो के समान वस्तुओ पर प्रहार करते है। एक और भी रहस्य की बात सुनो--बहुत ऊची ऊँचाइयो पर उड़ने वाली कोई वस्तु उसी रफ्तार से कम ऊँचाई मे उड़ने की तुलना में अन्य परिस्थितियाँ वैसी ही रहने पर, अपेक्षाकृत अधिक गरम हो जाती है।"

"क्यो?"

"इसलिए कि कम ऊँचाई पर अवरोध अधिक होने पर भी इसके कारण पैदा गरमी यहाँ आसानी से फैल जाती है। अधिक ऊँचाई पर अवरोध कम होने पर भी यह गरमी आसानी से आसपास नहीं फैल सकती।"

"यह तो भौतिक विज्ञान का एक जाना माना नियम है।"