यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
९१
खग्रास

"वायुमण्डल की स्ट्रेटोस्फियर परत के ऊपर यह एक महत्वपूर्ण परत है जिसकी बाबत वैज्ञानिको की बहुत कम जानकारी है परन्तु मैं तुम्हे एक अत्यन्त गोपनीय बात बताता हूँ कि हमने कृत्रिम ग्रह स्थापित करने के लिए इसी परत को चुना है। और हम वायुमण्डल के इस क्षेत्र की ठीक-ठीक जानकारी प्राप्त करने के लिए निरन्तर महाप्रक्षेपणास्त्रो से अनुसन्धानात्मक राकेट छोड़ रहे है। उनमे कुछ की विज्ञप्ति होती है, कुछ को नितान्त गोपनीय समझा जाता है।"

"अच्छा यह तो बताओ, तुम लोगो ने कृत्रिम ग्रह स्थापन के लिए आयनोस्फियर क्षेत्र को क्यो चुना है?"

"तुम्हारा प्रश्न ठीक है। बात यह है कि वायुमण्डल के ऊपरी हिस्से की एक विद्युत प्रभावित परत है। यह दूर तक रेडियो-सन्देशो को प्रसारित करने की दृष्टि से वायुमण्डल का एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है। पृथ्वी से भेजी जाने वाली रेडियो-तंरगे आयनोस्फियर द्वारा वापस फिर पृथ्वी पर लौट आती है। इसी तरह पृथ्वी से फिर टकराकर आयनोस्फियर को वापस लौट जाती है। यह क्रम इसी तरह जारी रहता है और अन्त में ये किरणे दूर के लक्ष्य स्थान पर पहुँच जाती है। आयनोस्फियर से प्रतिक्षिप्त होने वाली रेडियो तरङ्गो के कारण ही रेडियो तंरगे भूमण्डल की गोल परिधि के दूरवर्ती स्थानो तक पहुँच जाती है।"

"तब तो आयनोस्फियर के सम्बन्ध में वैज्ञानिको का इतना उत्सुक होना उचित ही है। इसकी अधिक जानकारी से रेडियो तरङ्गो को अधिक दूर तक भेजने में नए सुधार किए जा सकते है।"

"बेशक, बेशक अच्छा अब एक्सोस्फियर की बात सुनो। इसके सम्बन्ध में भौतिक शास्त्रियो का कथन है कि यह वायुमण्डल का वह भाग है जिसमें निश्चल हवा रहती है और जहाँ की हवा इतनी सूक्ष्म होती है और उसके व्यूहाणु इतने विरल होते है कि एक दूसरे से टकराए बिना वे अनन्त दूरी तक पहुच सकते हैं।"

"परन्तु एक्सोस्फियर के बारे में तो तुम लोगो की जानकारी काल्पनिक ही है। आयनोस्फियर या उसके ऊपरी हिस्से के बारे में तो निश्चित रूप से