आकर सारा हाल विस्तार से बताओगे तो इस सम्बन्ध में वैज्ञानिक जगत में हलचल मच जायगी।"
मैंने कहा---"प्रोफेसर अब मेरे पृथ्वी पर पहुँचने की भला क्या आशा है। अब यही सम्भव हो सकता है कि मैं अणु विस्फोट द्वारा विमान के एक भाग को पृथ्वी पर फेक दूँ और स्वंय यहाँ जब तक जिन्दा रह सकता हूँ, नई-नई खोज करता और आपको सूचनाएँ भेजत रहूँ। मुझे इस बात का सन्तोष है कि मेरे अकेले के जीवन के बदले में संसार के मनुष्यों को चन्द्रलोक के सम्बन्ध में अछूते अद्भुत तत्व मिल जाएगे।"
मेरी बात सुनकर प्रोफेसर रो पड़े। वह बहुत देर तक रोते रहे। उन्होने हिचकियाँ लेते हुए कहा---जोरोवस्की, मेरे प्रिय शिष्य, यदि चन्द्रलोक में तनिक भी वायुमण्डल हो तो तुम्हारे पृथ्वी पर लौट आने के लिए हम बहुत कुछ कर कर सकते है।"
"किन्तु अफसोस, प्रोफेसर, यहाँ चन्द्रलोक में बिलकुल ही वायुमण्डल नहीं है।"
"अफसोस। किन्तु चन्द्रमा अपनी धुरी पर भी घूमता है, और पृथ्वी की भी परिक्रमा करता है। फिर भी वहाँ वायुमण्डल नहीं है, गुरुत्वाकर्षण तो वहाँ होगा ही।"
"गुरुत्वाकर्षण तो है। यह तो मैंने देख लिया है।"
"फिर वायुमण्डल क्यों नहीं है? बड़े आश्चर्य की बात है। खैर, वहाँ तुम्हे कुछ तकलीफ तो नही है?"
"नहीं। न मुझे भूख है, न प्यास, न और शारीरिक आवश्यकताएँ ही है। मैं थकान और नींद भी अनुभव नहीं कर रहा हूँ।"
"यही बड़ी आशा है, मेरे प्यारे जोरोवस्की, तुम काफी देर तक चन्द्रलोक मैं जीवित रह सकते हो तब तक शायद हम कुछ तुम्हारे लिए कर सके।"
"आपसे जो कुछ करते बन पड़े कीजिए, प्रोफेसर, पर मेरे मित्रो से कह दीजिए कि मेरे लिए अफसोस न करे। खुशियाँ मनाएँ क्योंकि मैं कर्तव्य