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खग्रास

पृथ्वी की परिक्रमा करने का एक ही समय होने के कारण चन्द्रमा का एक ही रुख सदा पृथ्वी के सामने रहता है। उसके दूसरे रुख पर क्या है, यह बात आज तक पृथ्वी के किसी वैज्ञानिक को ज्ञात नहीं हुई।"

"निस्सन्देह। खगोलशास्त्रियो ने हिसाब लगाया है कि चन्द्रमा का केवल ५९।१०० भाग ही अभी तक देखा गया है और ४१।१०० भाग में क्या है, इसे विश्व का कोई पुरुष नहीं जान पाया।"

"यही बात है। और अब मेरी प्यारी लिजा, तुम मुझे मुबारकवाद दो कि मैं उसी अज्ञात रहस्यपूर्ण चन्द्रलोक के भाग पर पूरे २२ घन्टे रहकर देख आया हूँ और उस स्थान के सैकड़ों चित्र मैंने लिए है। तथा मनुष्य के चर्म चक्षुओ से कभी न देखे गये दृश्य मैंने देखे है।"

"ओफ ओ, प्यारे जोरोवस्की, तुम तो मुझे ऐसी आश्चर्यजनक बात बता रहे हो कि जिस पर एकाएक विश्वास नहीं होता।"

"परन्तु मेरी प्यारी लिजा, मैं जो कुछ कहता हूँ, वह अक्षरश सत्य है।"

"परन्तु जैसा कि हम पृथ्वी के निवासियो का विश्वास है कि चन्द्रलोक में न वायु है, न जल। तथा वहाँ कोई जीवधारी भी नहीं है। क्या यह सत्य है?"

"पृथ्वी के निवासियो को विश्वास और कल्पना का आधार तो पृथ्वी की परिस्थितियाँ ही है। उन्होने कभी चन्द्रलोक में जाकर कुछ देखा भाला थोड़े ही है।"

"सच कहते हो! खैर, तुम अपनी कहानी कहो।"

"हाँ तो जब मेरा यान चन्द्रलोक के निकट पहुँचा तो मुझे इस बात की चिन्ता हुई कि मैं अब उतरूँ कहाँ। कोई निरापद स्थान तो नजर ही नहीं आता था और प्रतिक्षण मुझे अपने यान का किसी गगनचुम्बी चट्टान से टकराने का भय हो रहा था। परन्तु मैंने मास्को से रवाना होने से प्रथम ही इस खतरे पर विचार कर लिया था तथा, मुझे इसका उपाय भी सूझ गया था और मैंने अपने विमान के अग्रभाग में कई छोटे-छोटे उल्टे राकेट लगा दिए