श्वास प्रश्वास, रक्त-संवहन, शरीर के तापमान आदि पर प्रभाव डालती है, इस कारण रक्तचाप भी नीचा हो जाता है।"
"परन्तु क्या गति वृद्धि से जीवकोषो में गैसो का विनिमय नहीं बढ़ता?"
"बहुत बढ़ता है। गति वृद्धि के साथ ही साथ जीवकोषो में प्राणवायु की अधिकाधिक ग्रहण करने की प्रवृत्ति हो जाती है। साथ ही कार्बन डाइआक्साइड को अधिकाधिक छोड़ने की भी।"
"उसी भॉति कि जब हम दौड़ लगाते है तो जल्दी जल्दी श्वास लेते और छोड़ते है। इससे प्राणवायु का अधिक ग्रहण और कार्बोडाइआक्साइड का अधिक विसर्जन हम करते है।"
"बिल्कुल यही बात है। परन्तु गुरुत्वाकर्षण के अभाव में यह विनिमय कम हो जाता है। शुरू में यह विनिमय कुछ द्रुत रहता है, पर ज्यों-ज्यों जीवकोषो में गुरुत्वाकर्षण शून्य स्थिति का अभ्यस्त होने लगता है, त्यों त्यों विनिमय की यह द्रुतं गति मन्द पड़ने लगती है।"
"यह भी कुदरत का अद्भुत करिश्मा है। ऐसा न हो तो प्राणी हाँफते हॉफते मर न जाय।"
"मैने तो कुदरत के ऐसे करिश्मे देखे कि हमारा सारा ही विज्ञान ज्ञान का गर्व खर्व हो गया।"
"परन्तु प्रिय, तुम्हारा जीवित सही सलामत लौट आने का करिश्मा ही मुझे तो प्रकृति का सबसे बड़ा करिश्मा प्रतीत होता है।"
"बिल्कुल सच है मेरी प्यारी लिज़ा, हमारा विज्ञान तो अभी प्रकृति के गम्भीर रहस्यो को कुछ भी नहीं जानता।"
"खैर, तो अब तुम अपनी यात्रा का विवरण सुनाओ।"
"मैंने तुम्हे बताया कि ज्यों ही मेरा राकेट यान वायुमण्डल के उस पार पहुँचा, सारा कष्ट जाता रहा। असह्य उत्ताप तत्क्षण समाप्त हो गया। अब अद्भुत अनदेखे अकल्पित अन्तरिक्ष के क्षण-क्षण पर बदलते हुए चित्र मेरे नेत्रो के सम्मुख थे। मैं यद्यपि इस्पात और एल्युमिनियम के आवरण में बन्द था, परन्तु छविपट पर चारो ओर के दृश्य सिनेमा के चित्रो की भाँति