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खग्रास

रानियो की बातें कहानियो में सुनी जाती है ऐसी ही एक रानी के साथ डिनर था।" जोरोवस्की ने हँसते-हँसते पूरा किस्सा कह सुनाया। सुनकर लिज़ा ने व्यंग्य से कहा--"क्या बहुत खूबसूरत थी वह रानी?" जोरोवस्की लिज़ा का व्यंग्य समझकर जोर से हँस दिया।

लिज़ा ने कहा---"खैर, वह कैफियत पीछे लूँगी, अभी तुम सुनायो तुम पर कैसी बीती? यहाँ कोई हमारी बात नहीं सुन सकता। भूमण्डल में जहाँ जो कोई भी हमारी बात सुनने की चेष्टा करेगा, हमे तुरन्त पता चल जाएगा।"

जोरोवस्की ने हँसकर कहा--"तो तुम इस यन्त्र को खूब काम में ला रही हो?"

"बड़े काम का यन्त्र बनाया है तुमने, जोरोवस्की। लेकिन इसमे एक नुक्स है।"

"वह क्या?"

"गैर आदमी को इसकी उपस्थिति का पता लग जाता है। इसकी मन्द झंकार वह सुन लेता है। इसी के कारण मैं आते समय हागकाग में बड़ी कठिनाई में पड़ी। यात्रा में हमेशा मैं इस यन्त्र को अपने सीने पर रखती हूँ। ज्योंही हमारा प्लेन हागकाग पहुँचा, पुलिस ने मुझे घेर लिया और सारे सामान की तलाशी ले डाली। बात यह हुई कि सारी राह मेरी बराबर की सीट पर ये महाशय जमे बैठे थे जिन्हें तुमने भोजन के समय देखा था। यन्त्र मेरा चालू था। बस ये बराबर उसकी आवाज सुनते रहे और सम्भवत वायरलैस से इन्होने हागकाग की पुलिस को खबर कर दी। पुलिस ने सामान की छानबीन अवश्य की। पर उन्हे यह क्या मालूम था कि मेरे सीने पर यह बंधा हुआ है।"

"खैर, तो इस बार मास्को पहुँचकर मै इसे दुरुस्त कर दूँगा। लो, अब तुम मेरी अजीबोगरीब दास्तान सुनो।"

"सुनाओ। लेकिन ठहरो, तुम कब उड़े थे?" लिज़ा ने एक छोटी-सी पाकेट बुक खोलते हुए कहा---"हाँ, ठीक है। बस २१ अक्टूबर को न?"