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खग्रास

कही कोई गुप्त रहकर तो तुम्हारी बात नही सुन रहा। और तुम इत्मीनान रखो कि वह चोर पृथ्वी पर चाहे जहा भी हो, तत्क्षण मौत का शिकार हो जायगा। उसने जेब से हाथ बाहर निकाल कर अपने हाथो का एक छोटा सा यन्त्र दिखाया तथा आँखो-आँखों मे एक गुप्त सकेत किया।

अभिप्राय समझकर जोरोवस्की ने कहा, "किन्तु प्रिये, जल्दी न करना। जितनी अनिवार्यत आवश्यक हो उतनी हीव कार्यवाही हमें करनी चाहिए। केन्द्र का हमे यही आदेश है।"

"ओह, वह मैं जानती हूँ। और मुझे, ससार मे हमारे कौन-कौन और कहाँ कहाँ मित्र है, यह भी ज्ञात है। तुम निश्चिन्त रहो।" जोरोवस्की ने द्वार मे चाभी धुमादी और लिजा क्षणभर वही खड़ी रही। फिर एक सूक्ष्म तार का सिरा कार्पेट उठाकर उसने अपने यन्त्र से जोड़ा और अपने कमरे मे तेजी के साथ चली गई।


भोजन के कमरे में

सार्वजनिक भोजनगृह मे इस असाधारण युगल मूत्ति ने सब लोगो के साथ भोजन किया। भोजन का कमरा देश विदेश के सम्भ्रान्त स्त्री पुरुषों से खचाखच भरा था। छुरी कॉंटे की खटाखट के साथ आरकेस्ट्रा वाद्य ध्वनि, और लोगों की धीरे धीरे बात करने की मर्मर ध्वनि सब मिलकर वहाँ के धीमे पीले वातावरण को अत्यन्त प्रभावशाली बना रहे थे। सब लोगों की भाँति ये दोनो भी ऋतु तथा दिल्ली की दर्शनीय वस्तुप्रो के सम्बन्ध मे जबतब बातें कर लेते थे। लिजा ने जर्द रङ्ग का अमेरिकन स्टाइल का झाक पहना था। इस वेश मे वह भोजनालय के उस मन्द पीत प्रकाश मे अत्यन्त मोहक अँच रही थी। जोरोवस्की ने जरा झुककर सूप का सिप लेते हुए मन्द स्वर से कहा--"लिजा डार्लिंग, क्या तुम कह सकती हो कि यहां बैठे हुए कुछ लोगो की हम मे दिलचस्पी है?"

"तुम मे दिलचस्पी है या नहीं, परन्तु दो व्यक्ति यहाँ ऐसे बैठे हैं जो